देखरेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो रहा ऐतिहासिक रंगमहल
एक समय था जब इस वीरान सी जगह में चहल पहल हुआ करती थी। वो भी कोई मामूली नहीं बल्कि राजाओं महाराजाओं की लेकिन अब ये जगह पूरी तरह से वीरान नज़र आती है। इसका नाम है। रंगमहल जो बुंदेलखंड के दमोह जिले के हटा में मौजूद है। ये मोदी सरकार में मंत्री प्रह्लाद पटेल का क्षेत्र है। यहां पर फौलादी दीवारें, बुलंद दरवाजे और किले में दफ्न की किस्से रंगमहल की दास्ता सुना रहे हैं। सालों गुजर गए लेकिन महल की तस्वीर आज भी वैसी ही है। ऐसा बताया जाता है की पहले जहा रंगमहल के भीतर घुंघरुओं की आवाज गूंजा करती थी। वहां अब सन्नाटा पसरा हुआ है। ऐसा भी कहा जाता है। की इस महल की रानियां संस्कृति का मंच करती थीं। ये महल गोंडवंश के राजाओं के किलों में से एक है। जो इस क्षेत्र की गाथा बयान करता है। कभी यहां पर राजा हट्टेशाह का शासन हुआ करता था। इस किले की श्रंखला गोंड वंश के राजाओं ने बनाई थी। बाद में इस किले को महाराजा छत्रसाल ने बाजीराव को सौंप दिया था। ये हटा शहर के दाहिने किनारे बसा हुआ है। स्थानीय लोगों को कहना है। कि फकीर मलंगशाह की दुआ ने मुगलों की फौजों को हटा दिया था। इसी वजह से इसका नाम हटा पड़ा। जबकि कुछ लोगों का कहना है। कि गोंड राजा हट्टे शाह ने हटा बसाया था और उसी के नाम से इसका नाम हटा पड़ा। जानकारी के मुताबिक इस महल पर बुंदेला छत्रसाल, मराठा, गोंड, गुप्त, परिहार, कलचुरी, खिलजी, मुगल, पेशवा-मराठा के राजाओं ने राज किया है। महल में प्राचीनकाल की एक बावड़ी भी है। ठीक तरह से देखरेख न होने से ये खंडहर में तब्दील हो रहा है। सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।