भगवान शिव ने विष्णु को सौंपा श्रष्टि का भार, एक दूजे से मिले दोनों पालनहार || SAGAR TV NEWS ||
दीपावली कार्तिक माह की पूर्णिमा के ठीक एक दिन पहले बैकुंठ चतुर्दशी की अर्धरात्रि में एमपी के उज्जैन में अद्भुत नजारा देखने मिला। यहां हर यानि (शिव) अपनी सवारी के साथ द्वारिकाधीश गोपाल मंदिर पहुंचे और परंपरा अनुसार भगवान श्री हरि (विष्णु) को पृथ्वी का भार सौंपकर कैलाश पर्वत चले गए। यहां भगवान श्री कृष्ण और भगवान भोलेनाथ के इस मिलन को हरिहर मिलन के रूप में मनाया गया। इस दौरान भगवान कृष्ण को शिव की ओर से बिल्वपत्र की माला अर्पण की गई। वहीं भगवान भोलेनाथ को तुलसी की माला भेंट की गई। जानकारी के मुताबिक हरिहर मिलन की उज्जैन में यह अद्भुत परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है। यहां हरी से आशय श्री विष्णु से और हर से आशय महादेव भोलेनाथ से है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर पृथ्वी का समग्र भार बैकुंठ के वासी श्री हरि विष्णु को सौंपकर चार महीने के लिए कैलाश पर्वत चले जाते हैं। इस परंपरा के बाद से ही समग्र मांगलिक काम शुरू हो जाते हैं। इसके बाद देवशयनी ग्यारस पर दोबारा भगवान विष्णु निद्रा अवस्था में चले जाते हैं। भगवान भोलेनाथ श्रष्टि का कार्यभार संभालते है। देर रात 1 बजे भगवान शिव और श्री हरि के मिलन का नजारा देखते ही बन रहा था। रात 12 बजे महाकाल राजा पालकी में सवार होकर अपने शाही ठाठ-बाठ और लाव-लश्कर के साथ शहर के कई मार्गों से होते हुए द्वारिकाधीश गोपाल मंदिर पहुंचे। जहां पूरे मार्ग पर भक्तों ने जोरदार आतिशबाजी की और भक्ति में झूमते गाते नजर आए।--------