जिले में रबी फसलों में चना, मसूर, गेहूं, एवं राई-सरसों आदि की बुआई की गई है। लगभग 85 प्रतिशत क्षेत्र में बुआई कार्य किया जा चुका है। नहर से सिचांई वाले कुछ क्षेत्रों में बुआई कार्य किया जाना शेष है। बुआई के लिये शेष 15 प्रतिशत क्षेत्र में अभी गेहूं की बोवनी के लिये उचित समय है। कृषि विभाग द्वारा कृषकों को सलाह दी गई है कि ऐंसे सिंचित क्षेत्रों में देरी से बुआई की जाने वाली गेहूं की किस्मों का चयन कर बुआई करें। सिंचित क्षेत्रों में देरी से बुआई हेतु 5 दिसंबर से 20 दिसंबर तक उपयुक्त किस्मों का चयन कर बुआई की जा सकती है। सिंचित दशा में समय से बुआई (25 नवंबर तक) के लिये 100 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती हैं, जबकि सिंचित दशा में देर से बुआई (20 दिसंबर तक) के लिये 125 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्टयर उपयोग में लेना चाहिए। बुआई करते समय कतार से कतार की दूरी 23 सेमी व पौधे से पौधे की दूरी 8 से 10 सेमी रखना चाहिए। इस क्षेत्र हेतु सिंचित अवस्था में देरी से बुआई हेतु निम्नानुसार गेहूं की किस्में अनुशंसित है- एमपी-4010, एमपी-1203, एमपी-1202, एचडी-2864, डीएल 788-2 (विदिशा), एचआई-1544 आदि। अतः वर्तमान में गेहूं की बुआई करने वाले कृषकों को सलाह दी गई है कि उपलब्धता अनुसार दर्शित किस्मों में से ही गेहूं की किस्म का चयन कर बुआई करें, जिससे कि आशातीत उत्पादन प्राप्त किया जा सकें।
सागर टीवी न्यूज़ से सबसे पहले न्यूज़ लेने के लिए अभी अपना ईमेल डालें और सब्सक्राइब करें
Sagar TV News.