ब्रोकली की खेती में आगे आई समूह की महिलाएं, 12 एकड़ में शुरुआत की
सागर- पिछले वर्ष भी महिलाओं ने ब्रोकली लगाई थी लेकिन स्थानीय बाजार ने खरीदने से किया मना कर दिया था। ग्राहकों को लगा यह बासी गोभी है, जिसे कलर करके फिर से बेचने लाया गया है। पिछले साल इन महिलाओं ने सिंजेंटा फाउंडेशन के माध्यम से प्राप्त बीजों का डिमास्ट्रेषन किया था। दरअसल नई फसल की शुरुआत करने के लिए इसे आजीविका मिशन के माध्यम से प्रयोग किया गया था। परंतु इसकी बाजार में मांग शून्य रही। गत वर्ष इन्होंने जो पैदावार ली, उसे बेचना दूभर हो गया था। यही कारण है कि 6 में से 3 लोगों ने इस वर्ष इसकी खेती को करने से मना कर दिया, परंतु फिर भी 3 महिलाएं ऐसी थीं, जिन्होंने दोबारा से इसे लगाने में अपना हौसला दिखाया। स्थानीय बाजार में मांग शून्य होने की दशा में इन्होंने महानगरों में संपर्क करना शुरू कर दिया। आज इनके संपर्क जबलपुर भोपाल और इंदौर के व्यापारियों से सतत जारी है। तीनों मंडियों के अपडेट रेट लेकर इस बात का अंदाजा करते हुए की ट्रांसपोर्टेशन में कितना रुपया खर्च होगा तैयार की। कुल मिलाकर व्यापारिक गणित बिठाना इन्होंने सीख लिया है और अब कल पहली खेप जबलपुर के लिए रवाना करने वाली है। जिला प्रबंधक आजीविका मिशन श्री अनूप तिवारी ने बताया कि सब्जी के उत्पादक किसानों को बाजार पर ऊंची कीमतें देने वाली फसलों की पैदावार के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इसी क्रम में ब्रोकली पहला चरण है। इसके पूर्व के वर्षों में इन्हें शिमला मिर्च की खेती पर प्रशिक्षण दिया गया था जिसके सार्थक परिणाम आए हैं। आज अकेले रहली विकासखंड क्षेत्र में 50 एकड़ से अधिक रकबे में पॉली मल्चिंग ड्रिप के साथ शिमला मिर्च को किसानों ने अपना लिया है। इस की पौध तैयार के लिए सीडलिंग ट्रे में एक-एक दाने को कोकोपीट के साथ जमा लिया जाता है। आमतौर पर 1 एकड़ में लगभग 14700 पौधे लगाए जाते हैं। दो पौधों के बीच की दूरी लगभग 45 सेंटीमीटर और 2 कतारों के बीच की दूरी 60 से 70 सेंटीमीटर रखी जाती है।