सागर-दुनिया में जो छोटा बनकर रहता है उसी में बड़ा बनने की कला छुपी होती है-आशुतोष राणा SAGAR TV NEWS
दुनिया में जो छोटा बनकर रहता है। उसी में बड़ा बनने की कला छुपी होती है। जीवन की सार्थकता तब है जब (मैं) नहीं (हम) पूरा समूह लेकर आगे बढ़ रहे होते हैं। सफलता के लिए परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढालना जरूरी है। और मैं इस सूत्र का पालन करता हूं। ये बात सागर के रहली में प्रख्यात सिने अभिनेता और लेखक आशुतोष राणा ने रहली महोत्सव के दौरान कही। वो युवाओं से संवाद कर रहे थे। बोले की अच्छा नायक वह होता है। लीडर यानि (नेता) लेडर (नसेनी) के समान है। जो धरती पर जमी रहती है और दीवाल से टिकी रहती है। लोग चढ़ते-उतरते रहते हैं। वह न किसी को गिराती है। और ना रोकती है। आशुतोष राणा ने विशेष रूप से युवाओं से कहा की सुनो एक सिद्धि होती है एक प्रसिद्धी होती है। बुरा से बुरा व्यवहार भी करो तो भी कुख्यात सही पर प्रसिद्धि मिल जाती है लेकिन जो प्रसिद्धि है जरूरी नहीं वह सिद्धी हो। पर जो सिद्ध होता है वह निश्चित रूप से प्रसिद्ध होता है। जो स्वयं को साध लेता है वह समाज को भी साधकर आगे बढ़ाता है। ऐतिहासिक अटल सेतु लोकार्पण मौके पर आयोजित समारोह में आयोजित परिचर्चा और सवाल-जवाब कार्यक्रम के दौरान इसके अध्यक्ष अभिषेक दीपू भार्गव ने सवाल किया कि जीवन के दोराहे पर खड़ा किसे और कैसे गुरु बनाएं ? जिस पर आशुतोष राणा ने कहा की हम गुरु बनाते समय अक्सर प्रसिद्धि और चमत्कार देखकर ही गुरु बनाने की भूल करते हैं सच्चे गुरु की तलाश में पहले स्वयं को मिटाना पड़ता है गुरु अपने पर आश्रितों को सुख की गारंटी नहीं देता लेकिन सफल रहने का गुण अवश्य देता है। उन्होंने भार्गव दीपू की ओर मुखातिब होते हुए कहा योग्य शिष्य को गुरु खुद तलाश लेता है उस पत्थर की तरह जिसे मूर्तिकार स्वयं ढूंढता है भगवान बनाने के लिये।-------- इसके अलावा अलग-अलग जगहों से आये युवाओं ने भी सवाल किये।--------