सच्चे भक्तों को और सच्चे संतो को कभी भी माया के पीछे नहीं भागना चाहिए बोले- कथावाचक अभिमन्यु महाराज
बेगमगंज- स्टेट बैंक दिग्विजय कॉलोनी में चल रही शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन महाराज अभिमन्यु कृष्ण भागवताचार्य ने कथा का वर्णन करते हुए कहा कि हिमालय पर्वत पर एक बार श्री नारद जी का आगमन हुआ मां गंगा का सुंदर दृश्य था नारद जी के मन भक्ति करने का मन में भाबुआ भक्ति को रोकने के लिए कामदेव ने आकर के भक्ति करने से रोका और श्री नारद जी महाराज के ऊपर काम का प्रभाव हुआ प्रभाव के द्वारा नारद जी के मन में विचार आया कि मैं विश्वमोहिनी से विभाग करूंगा नारद जी श्री हरि के भक्त हैं तो भगवान नारायण एवं शिव जी ने उन्हें काम से और विश्वमोहिनी से विवाह करने से बचा लिया उन पर कृपा की और अपने चरणों का दास बना लिया यह भगवान शिव की महिमा है क्योंकि स्त्री एक माया है और जो माया में उलझ जाता है तो उसके जीवन में कभी भक्ति भाव भजन नहीं होता है सच्चे भक्तों को सच्चे संतो को कभी भी माया के पीछे नहीं पड़ना चाहिए माया के पीछे जो पढ़ते हैं उनसे भक्ति और भाग छूट जाता है धन्य है महादेव की कृपा की नाराजगी को आजमाइश से बचाकर अपने चरणों से जोड़ दिया दूसरा प्रसंग सुनाते हुए कहा कि यज्ञदत्त नाम के एक ब्राह्मण थे उनका एक बालक था गुणानिधि जो धर्म के विरुद्ध कार्य किया करता था जो चरणों से हीन था एक दिन उसके पिता ने उसे घर से निकाल दिया था रात्रि के समय उसको बहुत तेज भूख लगी तो उसे एक शिव जी का मंदिर दिखा उस मंदिर में शिव जी के पास प्रसाद चढ़ा हुआ था उसने प्रसाद उठाया और खा लिया जब इसकी मृत्यु हुई तो यम के दूत पकड़ के ले गए वहीं पर भगवान के भक्त पहुंच गए और कहा इसने हमारे स्वामी भोले जी का प्रसाद पाया है इसीलिए सब लोग का अधिकारी है तो भगवान भोलेनाथ तो बड़े दानी है दयालु कृपा करने वाले हैं आज गुणानिधि नाम के ब्राम्हण के ऊपर कृपा की और शिवलोक में वास दे दिया