गिनीज बुक में दर्ज होने वाला इंडिया का पहला टैटू आर्टिस्ट बना, रेस्टोरेंट में काम करने के साथ शादी में बजाता था डीजे
Stvn Information Deskलोकेश वर्मा आज गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शुमार इंडिया का पहले टैटू आर्टिस्ट बन चुके है। लोकेश का नाम गिनती वर्ल्ड के टॉप-10 टैटू आर्टिस्ट में शामिल हो गया है। लोकेश का इस समय इंडिया में तीन और यूरोप के लंगेनबर्ग में एक टैटू स्टूडियो है। बता दे की लोकेश दिल्ली की एक लोअर मिडिल क्लास फैमिली में पैदा होकर यूरोप तक पहुंचने का सपना देखना आसान नहीं था। फिर भी मैंने दिल्ली की तंग गलियों से यूरोप तक का सफर तय किया, अपनी अलग पहचान बनाई, नाम कमाया। पापा आर्मी से रिटायर्ड हैं, लेकिन वो लो रैंक पर थे। सैलरी इतनी भी नहीं कि घर-परिवार का बेहतर तरीके से गुजर-बसर हो सके। इसलिए मैंने रेस्टोरेंट में काम करने के साथ ही मैंने B Com के बाद MBA कर लिया, लेकिन कहीं भी नौकरी नहीं मिली। एक दोस्त के कहने पर DJ का काम शुरू कर दिया। पार्टी-फंक्शन में DJ बजाने जाता था। बचपन से ही मुझे स्केचिंग का भी शौक था, कई तरह के पोर्ट्रेट बनाता। एक दिन दिल्ली में ही मैं DJ बजाने के लिए गया था, यहां एक व्यक्ति ने अपनी बांह पर टैटू बनवा रखा था। जिसके बाद मैंने भी टैटू में अपना करियर आजमाने की ठानी। फिर मैंने सेविंग के कुछ पैसे बचाकर रखे थे, उससे मशीनें खरीदीं और अपने ऊपर ही टैटू बनाना शुरू कर दिया। फिर पापा को टैटू बनाया। दोस्तों को जब पता चला, तो वो भी टैटू बनवाने लगे। फिर मैं जबरदस्ती दोस्त और उनके फ्रेंड्स को पकड़-पकड़कर टैटू बनाने लगा। दोस्तों पर, अपने ऊपर प्रैक्टिस कर-करके मैंने टैटू बनाना सीखा, खुद का टीचर खुद ही था। इसलिए कोई गलती और डर की गुंजाइश नहीं थी। टैटू बनाने के बदले पैसे तो नहीं मिलते थे, लेकिन टैटू बनाना धीरे-धीरे सीख गया। दिल्ली के वसंत विहार इलाके में एक सैलून की दुकान चलती थी, उसके एक हिस्से में छोटा सा कमरा था, जिसमें मैंने टैटू बनाने का स्टूडियो सेटअप किया था। 2010 में एक यूरोपियन टैटू आर्टिस्ट इंडिया आए हुए थे, उनसे मेरा मिलना हुआ। तभी से मैं यूरोप जाने लगा। इस दौरान मैंने 17 देशों में जाकर टैटू बनाए। 2011 में मैं किसी ह्यूमन बॉडी पर 199 फ्लैग टैटू बनाने वाला पहला टैटू आर्टिस्ट बना, जिसके बाद मेरा नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हुआ।