स्वरोजगार का प्रषिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बना सोनू धुर्वे
Stvn Information Deskसागर जिले के केसली विकासखंड के ग्राम ऊंटकटा का रहने वाला सोनू धुर्वे अब मुम्बई में जॉब करने लगा है। सोनू ने आजीविका मिषन के अंतर्गत संचालित डीडीयू जीकेवाय के अंतर्गत लॉजिस्टिक ट्रेड में तीन माह का आवासीय प्रषिक्षण ड्रीम वीवर संस्था इन्दौर में लिया। डीडीयू जीकेवाय के अंतर्गत सभी प्रषिक्षण प्रतिभागियों के लिये निःषुल्क होते है। प्रषिक्षण लेने के बाद सोनू का प्लेसमेंट सेपेक्स इंडिया मुम्बई में हुआ। जहां उसे प्रतिमाह केष इन हेंड 17 हजार रूपये मिलते हैं। सोनू ने स्वयं के आत्मनिर्भर होने के बाद अपने परिवार की चिंता की। विकासखंड मुख्यालय से गांव की दूरी होने के कारण परिवहन की समस्या होती थी। इसलिये परिवार के लिये उसने बाईक खरीदकर दी। अपने छोटे बेरोजगार भाई को भी सेटल करना था, परंतु माता-पिता चाहते थे कि कम से कम एक लड़का तो घर में रहे, परंतु गावं में उसके सेटल होने के लिये कोई विकल्प नही समझ में आ रहा था। उसने आजीविका मिषन के खंड स्तरीय अमले से चर्चा की, मदद मांगे। उसके छोटे भाई को आजीविका मिषन अंतर्गत गठित देवश्री फार्मर प्रोड्यूसर कपंनी में मिल्क कलेक्षन यूनिट चलाने का प्रस्ताव दिया गया परंतु इसके लिये कुछ लागत की आवष्यकता थी। फेट जांच मषीन, वजन मषीन, टेबिल-कुर्सी और मिल्क कलेक्षन सेंटर के प्राथमिक इन्फ्रा स्ट्रेक्चर के लिये लगभग 25 से 30 हजार रूपये आवष्यक थे। जिसकी पूर्ति सोनू ने की। अब उसके माता-पिता खुष है कि उसका एक बेटा मुम्बई में है तो दूसरा बेटा भी स्थानीय स्तर पर रोजगार से लग गया है। बी.ए. द्वितीय वर्ष तक षिक्षित सोनू आगे भी अपनी पढाई जारी किये है। जब छुट्टी से अपने गांव आता है तो उसके दोस्त मुम्बई नगरी का हाल जानने और फिल्मी सितारों के बारे में अपनी जिज्ञासाओं के लिये उसे घेर कर बैठा लेते है। सोनू भी छुट्टियों में अपने दोस्तो के साथ खुष होता है। कलेक्टर श्री दीपक आर्य का कहना है कि जिले के युवक, युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये डीडीयू-जीकेवाय के अलावा भी रोजगार मेलों के आयोजन किये जाते है। ताकि उन्हे जॉब मिल सके। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री क्षितिज सिंघल का कहना है कि जिले के कक्षा 8वीं अथवा उससे अधिक षिक्षित युवक-युवतियों को सागर, भोपाल, इन्दौर स्थित विभिन्न संस्थानों में निःषुल्क प्रषिक्षण की व्यवस्था हैं जहां से वे 3-6 माहों के विभिन्न ट्रेड में प्रषिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन सकते है।