Stvn Religion Deskदेश-दुनिया के नामचीन के साहित्य उत्सव में शामिल पांच दिवसीय जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का समापन सोमवार को हो रहा है। सोमवार को लिचरेचर फेस्टिवल में गौर गोपाल दास भी पहुंचे। उन्होंने कहा- हम जब आइसक्रीम खाते हैं, उसमें भी एक सीख है। आइसक्रीम हम पिघलने से पहले खा लेते हैं। ये सिखाता है हमें जिंदगी के पिघलने से पहले उसे एंजॉय करनी है। दूसरी तरफ मोमबत्ती भी पिघलती है। वो खुद को पिघलाकर दूसरों की जिंदगी में रोशनी भरती है। हमें भी ऐसे ही दूसरों के लिए कुछ योगदान देना होगा। सिर्फ अपने बारे में सोचने से काम नहीं चलेगा।
गौर गोपाल दास ने कहा- पैसा, धन, शोहरत बहुत जरूरी है। यह सक्सेस का एक कॉम्पोनेंट है। इसके अलावा भी सक्सेस के कई कॉम्पोनेंट है। सोचिए यदि मैं मर जाऊं। फ्यूनरल है। वहां कौन होगा यह कहने वाला कि इनके 17 मिलियन फॉलोअर्स थे। बिलियन व्यूज हैं। कौन आगे शोहरत पूछने वाला है। लोग सिर्फ पूछेंगे, इंसान कैसा था। इसने अपना जीवन कैसे जिया। पैसे के पीछे पड़ते-पड़ते अपने पर्सनल रिश्ते, हमारी आध्यात्मिकता को मीडिएट नहीं करना चाहिए।गौर गोपाल दास ने कहा- आपका जीवन आपके सफर पर निर्भर करता है। आपकी गाड़ी पर नहीं। यह देखना जरूरी है कि आप अपने समय का प्रयोग कैसे कर रहे है। सुख पाने से नहीं जीने से आता है। दास ने कल हो ना हो फिल्म का गाना । हर घड़ी बदल रही है रूप जिंदगी,छांव है कभी कभी है धूप जिंदगी, हर पल यहां जी भर जियो, जो है समा कल हो ना हो। इस गाने में पूरी जिन्दगी का फलसफा समाया हुआ है। उन्होंने कहा- बचपन से ही आध्यात्म के प्रति रुचि थी, लेकिन बचपन से यह भी इच्छा थी कि विश्व के लिए जो भी करना है वह कुछ अलग करना है।
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