55 दिन की कड़ी मेहनत के बाद तैयार होता है तिरंगा, 9 मानकों पर खरा उतरने के बाद लेता है आकार
Stvn Information Deskराष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम जिस राष्ट्रध्वज (तिरंगा) को फहराकर गर्व की अनुभूति करते हैं। आखिर वह कैसे और कहां तैयार होता है? देश में केवल दो ही ऐसे संस्थान हैं, जहां उच्च मानक वाला तिरंगा तैयार किया जाता है। बता दे कि झंडा बनने की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है। जिसमें कपास की कताई, बुनाई, डाई सहित 9 मानकों पर खरा उतरने के बाद तिरंगा झंडा आकार लेता है। धागे से झंडा बनने के इस सफर में कई कारीगरों और बुनकरों की कला के साथ ही 55 दिन की कड़ी मेहनत भी लगती है। लाल किले पर भी ग्वालियर में बना झंडा फहराया जा चुका है। मध्य भारत खादी संघ की वर्कशॉप ग्वालियर में जीवाजी गंज में स्थित है। जहां स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस से कुछ महीनों पहले से कारीगर दिन-रात काम में जुटे रहते हैं ताकि देशभर से आने वाली मांग की पूर्ति की जा सके। देशभर में फहराए जाने वाले राष्ट्रीय ध्वज में से 40 प्रतिशत ग्वालियर में बनाए जाते हैं। यहां से देश के 16 राज्यों में झंडा बनकर जाता है।