सागर-फौजी के रूप में सलामी देते देश के इकलौते हनुमान ! || SAGAR TV NEWS ||
सागर. बड़ी- बड़ी आंखें, तनी हुई मूछें, भरे हुए गालों के साथ चमकता हुआ चेहरा, सैनिक की तरह सलामी देते हनुमान जी की यह देश की इकलौती प्रतिमा हैं. जो बुंदेलखंड के सागर के परेड मंदिर में स्थापित है. यह मंदिर वाराणसी के पंच 10 जूना अखाड़ा से संबद्ध है. कैंट छावनी इलाके में स्टेशन हेड क्वार्टर रोड पर बना यह बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है. रोजाना सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु हनुमान जी महाराज के दर्शन करने पहुंचते हैं. मंदिर की पूजा करने वाले महंत राघवेंद्र गिरी बताते हैं कि सलामी देते और मूंछ वाले भारत में केवल यही हनुमान हैं यह सदियों पुरानी प्रतिमा है. इसका इतिहास आज तक कोई नहीं बताया पाया है.
यह जरूर है कि पहले यहां एक पेड़ लगा था, चबूतरा था जिस पर हनुमान जी बैठे थे. यहां पास ही में परेड होती थी इसलिए परेड मंदिर कहते थे. एक फौजी हनुमान जी का बहुत बड़ा भक्त था वह रोजाना ही यहां पर आकर पूजा-अर्चना करता था. एक दिन साफ सफाई करने के बाद वह भक्ति में लीन हो गया उधर उसके कर्नल परेड लेने के लिए आए हुए थे. लेकिन फौजी वहां नहीं पहुंच पाया ऐसे में हनुमान जी महाराज ही उस फौजी का रूप धारण करके वहां पहुंच गए थे. जो ना केवल परेड में शामिल हुए बल्कि उसकी हाजिरी भी डाली और इसके बाद वहां से चले गए.
बाद में जब सैनिक ड्यूटी के लिए पहुंचा तो वहां उससे पूछा कि अचानक कहां चले गए थे, तो उसने कहा कि मैं तो अभी आ ही रहा हूं. परेड मंदिर गया था साफ-सफाई करने लगा इसलिए देरी हो गई. इसके बाद उसे बताया कि कर्नल आए थे परेड में तुम शामिल भी थे. तुम्हारे दस्तखत भी है इसके बाद वह समय समझ गया कि यह सब हनुमान जी महाराज का ही चमत्कार है. इसके बाद वह दौड़ा दौड़ा वापस मंदिर पहुंचा और भगवान पूजा अर्चना कर क्षमा याचना की. अब उसकी वजह से वह भगवान को परेशान नहीं होने देंगे.
वापस जाकर उसने यह बात अपने अधिकारियों को भी बताई. और इसके बाद यह बात धीरे-धीरे और भी लोगों को पता चली जिसके बाद सभी भगवान के दर्शन को आने लगे उनकी पूजा-अर्चना करने लगे वर्तमान में यहां पर राम लक्ष्मण सीता भोलेनाथ राधा कृष्ण शनि देव का भी मंदिर है. यहां पर यज्ञशाला भी है, जहां पर हनुमान जयंती के अवसर पर लगातार 7 दिन तक यज्ञ किया जाता है. सागर के अलावा दूर-दूर से लोग परेड मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं वे सभी की मनोकामना को पूर्ण करते हैं. अब यह भव्य और बड़े मंदिर के रूप में आकार ले चुका है.