सागर-शाहगढ़ के देसी फ्रिज ने मचाया धमाल,पानी की अलग मिठास के चलते कई राज्यों में भारी डिमांड
बुंदेलखंड के सागर और छतरपुर जिले की बॉर्डर पर एक इलाका है शाहगढ़. यहां की मिट्टी और मिट्टी से बने मटके बेहद ही प्रसिद्ध हैं. प्रसिद्धि इतनी कि छत्तीसगढ़ राजस्थान और गुजरात के व्यापारी इन्हें खरीदने के लिए पहुंचते हैं. शाहगढ़ के इन मटकों को देसी फ्रिज के नाम से भी जाना हैं. इन मटकों का पानी बेहद ही ठंडा होता है. कुछ ही घंटों में पानी फ्रिज के जैसा ठंडा हो जाता है. शाहगढ़ में बने मटकों के फेमस होने का मुख्य कारण यहां मिट्टी के बने घड़े का पानी इलेक्ट्रॉनिक फ्रिज से भी ज्यादा ठंडे होते हैं. मिट्टी रेत के कणों जैसी है इस कारण बारीक सरफेस टेंशन निर्मित होता है. जिस कारण से वेंटिलेशन का मार्ग बनता है और घड़े में हवा प्रवेश करती रहती है. जिससे पानी अत्यधिक ठंडा हो जाता है. कोरोना काल में शाहगढ़ के घड़ों के व्यापार पर काफी असर पड़ा था. शाहगढ़ में मटकों का बड़ा बाजार लगता है. दूर-दूर से व्यापारी यहां पर इसे खरीदने के लिए आते हैं. इस बार बाजार में फिर से रौनक दिखाई दे रही है और घड़ों की डिमांड प्रदेश सहित दूसरे राज्यों से आ रही है. कुम्हार राम गोपाल प्रजापति ने बताया कि वे मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते हैं. मिट्टी के बने घड़े मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जाते हैं. यहां की मिट्टी विशेष है वे आगे कहते हैं कि मिट्टी के मटका का ठंडा पानी पीने से गला भी नहीं लगता है और मिट्टी की खुशबू से इसमें सोंधापन भी आ जाता है. इसलिए गर्मी का मौसम शुरू होते ही प्यास बुझाने के लिए देसी मटके की डिमांड बढ़ जाती हैं