Sagar-यूनिवर्सिटी में दिव्यांगों ने खोला मोर्चा कुलपति के रवैये से जताई नाराजगी
दुनियाभर में रोशनी फैलाने के लिए विख्यात डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय में नेत्रहीन विद्यार्थियों की उपेक्षा का मामला सामने आया है। गुरुवार को बड़ी संख्या में नेत्रहीन नारेबाजी करते हुए यूनिवर्सिटी कैंपस पहुंचे जहां गेट बंद होने पर हंगामा करते हुए पत्थरों से ताला तोड़ दिया। छात्र कुलपति से मिलने पर अड़े थे। सभी ब्रेल लिपि की पुस्तकों सहित शिक्षण सामग्री न मिलने की मांग लेकर पहुंचे थे। दिव्यांगों का आरोप था कि कुलपति डॉ नीलिमा गुप्ता ने दो साल में उनकी मांगें सुनना जरूरी नहीं समझा है।
केंद्रीय यूनिवर्सिटी में अध्ययनरत दृष्टिवाधित छात्रों का समूह गुरुवार की दोपहर मुख्य गेट तक नारेबाजी करते हुए पहुंचे। वहां पर ताला लगा हुआ था। पहले तो वहीं नारेबाजी और हंगामा हुआ। कुछ छात्र गेट पर चढ़कर दूसरी ओर कूद गए जबकि कुछ छात्रों ने बड़ा पत्थर उठाकर ताला तोड़ दिया। इसके बाद फिर नारेबाजी करते हुए अंदर प्रशासनिक भवन की ओर पहुंच गए। नारेबाजी और हंगामा पर विवि ने पुलिस बुला ली।
सिविल लाइन थाना पुलिस ने मौके पर जाकर समझाइश दी तो छात्रों ने उन्हें शिक्षा के अधिकार से वंचित रखने संबंधी कारण गिनाना शुरू कर दिए। छात्रों का कहना था कि कुलपति हमारे परिवार की मुखिया हैं। हम उनसे मिलना चाहते हैं। पिछले दो साल में कई बार ज्ञापन दे चुके हैं। लेकिन आज तक न तो कुलपति ने मुलाकात हुई और न ही हमारी मांगों पर ध्यान दिया गया।
केंद्रीय विवि में दिव्यांग छात्रों को शिक्षा संबंधी सरकारी योजनाओं से वंचित रखा जा रहा है। छात्रों ने आरोप लगाया कि उनकी पढ़ाई के लिए ब्रेललिपि महत्वपूर्ण है। लेकिन न तो उन्हें पढ़ने के लिए ब्रेल पुस्तकें और ब्रेल प्रिंटर नहीं दिया गया। लेखक शुल्क, खेलकूद सामग्री, परिवहन व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई जाती। शासन से दिव्यांगों को मिलने वाली परीक्षा शुल्क एवं अन्य शुल्कों में आज तक कोई रियायत नहीं दी गई। लिखित ज्ञापन में छात्रों ने चेतावनी दी है कि अगर दो दिन के भीतर हमारी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो हम आंदोलन करने बाध्य होंगे। इस दौरान घटित घटना के लिए विश्वविद्यालय जिम्मेदार होगा।
केंद्रीय विद्यालय में दिव्यांगों के साथ सौतेला व्यवहार चिंतित करने वाला है। छात्रों की मानें तो उन्हें पढ़ाई का माहौल ही नहीं मिल पा रहा। ऐसे में दिव्यांगता से जूझ रहे छात्रों के भविष्य पर तलवार लटकती दिख रही है। अब देखना यह है कि दो दिन में विश्वविद्यालय प्रशासन इन दिव्यांगों को उनके अधिकार कैसे दिलवाता है।