सागर - कान्हा की गोपियां बन उड़ाया रंग गुलाल, फिर भजनों पर युवतियों ने लगाए ठुमके
बुंदेलखंड के सागर में होली से ज्यादा रंग पंचमी पर्व की धूम रहती है. होली पर भले ही कोई गुलाल का टीका तक न लगाए, लेकिन रंग पंचमी पर सभी के चेहरे सतरंगी हो जाते हैं. इस दिन लोगों में उमंग दिखाई देता है और महिलाएं भी पीछे नहीं रहतीं. रंग पंचमी पर शहरवासियों में दोगुना उत्साह नजर आता है.
शहर की हर गली मोहल्ले में रंग गुलाल डालने वाले मिल जाते हैं. गलियों से निकलने वाले लोगों के ऊपर अपने घरों से रंग फेंका जाता है. युवाओं की टोलियां रास्ते में खड़ी रहती हैं, जो लोगों को गुलाल लगाती हैं. उन पर रंग डालती हैं, बड़ा बाजार क्षेत्र में स्थित श्री देव बांके राघव जी मंदिर में रंग पंचमी पर महिलाओं के द्वारा रंग गुलाल खेलने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जो आज भी जारी है.
रंगपंचमी में सबसे पहले ठाकुर जी की आरती की गई, फिर भजन हुए और इसके बाद भगवन को रंग गुलाल लगाया गया, जिसके साथ ही सभी महिलाएं भी झूम उठीं. फिर प्रसादी के रूप में सभी ने एक दूसरे को गुलाल लगाया. साथ ही रंगपंचमी का उत्सव शुरू हुआ. इसमें खूब रंग गुलाल उड़ाया गया. कृष्ण भजन गाए, सुनाए और बजाए गए.
भजनों पर युवतियां व महिलाएं कन्हैया की गोपिकाएं बनकर नाचती गाती हुई नजर आईं. पूरी तरह से भगवान की भक्ति में सराबोर रहीं. एक तरफ इन गोपियों पर मंदिर के ऊपर से गुलाल की बौछार की जा रही थी, तो दूसरी तरफ मंदिर के दरवाजे से मशीन से गुलाल डाला जा रहा था. पूरी गली गुलाल से रंग बिरंगी नजर आ रही थी.