Sagar-पत्नी बच्चों के नाम कराई सरकारी 13 एकड़ जमीन, साजिश में पटवारी भी था शामिल
सरकारी जमीन को हथियाने के लिए लोग क्या—क्या नहीं कर रहे अब सागर जिले की मालथौन तहसील में जमीन के फर्जीवाड़े का अजीब मामला सामने आया है। इसमें एक जालसाज ने पहले कागजों में फौजी बनकर खुद को मृत घोषित कराया। इसके बाद शासन की सवा करोड़ कीमती 13 एकड़ जमीन पत्नी और बेटों के नाम दर्जा करा ली। इस हेराफेरी में पटवारी भी शामिल था। पुलिस ने सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आइए जानते हैं कैसे सरकारी जमीन को हड़पने की साजिश रची गई
इस फर्जीवाड़े की शुरूआत आज से 27 साल पहले 1997 में हुई थी। दरअसल सेना के जवान सीताराम पिता मदनलाल यादव दुर्घटना में घायल हो गए। इस पर केंद्र सरकार की योजना के तहत अमारी रमगढ़ा में 13 एकड़ जमीन दी गई। जमीन मिलने के बाद रिटायर्ड फौजी कभी गांव नहीं आया। इस पर जमीन वापस सरकार के नाम हो गई।
इसकी जानकारी गांव के ही सीताराम पिता रामप्रसाद यादव को लगी तो उसने पटवारी के साथ मिलकर इस जमीन पर कब्जा करने की योजना बनाई। उसने खुद को कागजों में मृत घोषित कराया। इसके बाद फौजी के मिलते—जुलते नाम का फायदा उठाकर पत्नी और बच्चों के नाम से जमीन को दर्ज कराने नामांतरण का आवेदन दिया। लेकिन आवेदन निरस्त हो गया। न्यायालय में भी मामला उसके खिलाफ गया। ग्वालियर राजस्व मंडल में निरस्त अपील को पटवारी प्रमोद गौंड़ के साथ मिलकर आदेशों को तोड़ मड़ोरकर अपने पक्ष में बना लिया।
इसके बाद शासन की सवा करोड़ रुपए कीमती 13 एकड़ जमीन पत्नी रानी यादव, बेटे नीलेश यादव और हेमंत यादव के नाम दर्ज करा दिए। तहसीलदार प्रेमनारायण सिंह गौंड़ को मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने जांच शुरू कराई। फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद पटवारी को सस्पेंड कर दिया गया। शासन की जमीन को शासन के नाम दर्ज कर पोर्टल में सुधार के आदेश दिए गए। मालथौन पुलिस ने भी मुख्य आरोपी सीताराम यादव को गिरफ्तार कर लिया है।
उसकी पत्नी, दोनों बेटों और पटवारी के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। एसडीएम रवि श्रीवास्तव ने बताया कि सरकारी जमीन के फर्जीवाड़े मामले में पटवारी को निलंबित किया है। उसने बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के नाम दर्ज कर दिए थे। जमीन वापस शासन के नाम से करा दी है। पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। जांच में आगे जो भी दोषी पाया जाएगा उस पर भी कार्रवाई होगी। सरकारी जमीन को हड़पने का यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। अब देखना यह है कि इसके दायरे में अन्य जिम्मेदार भी आएंगे या मामला यहीं तक सीमित होकर रह जाएगा।