Sagar-एक नेता को विधानसभा में हराकर सांसद बना दिया; दूसरे को पार्षद से सीधे MP, यहां कायम है रीत
बुंदेलखंड भले ही मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की भौगोलिक लकीर से बंट गया हो, लेकिन दोनों तरफ इसकी पहचान और अंदाज बिल्कुल एक जैसा है। मध्य प्रदेश के हिस्से के बुंदेलखंड की भी वही कहानी है, जो पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की है। यहां पानी की समस्या है, लेकिन यहां के रहने वाले लोगों के व्यवहार में जरा-भी रूखापन नहीं है। यहां के लोग किसी को जल्दी अपनाते नहीं हैं और जिसे अपना लेते हैं,
उसे आसानी से छोड़ते नहीं। यही रीत राजनीति में भी दिखाई देती है, बुंदेलखंड की प्रमुख लोकसभा सीट सागर में स्वतंत्रता के बाद शुरुआती दशकों में जनता लगातार कांग्रेस पर विश्वास जताती रही। वर्ष 1952 से 1984 तक अपवाद छोड़ लगातार कांग्रेस को जीत मिलती रही, लेकिन वर्ष 1996 के बाद यह क्षेत्र भाजपा का मजबूत गढ़ बन चुका है। इस बार भाजपा ने पंच से राजनीति की शुरुवात करने वाली लता वानखेड़े तो कांग्रेस से गुड्डू राजा बुंदेला मैदान में है।
सागर लोकसभा सीट में साल 1951-52 से लेकर 2019 तक 17 चुनाव हो चुके हैं। साल 1996 से यह क्षेत्र भाजपा के ही पास है। वर्ष 1996 से 2004 तक यहां से डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक लगातार जीतते रहे। परिसीमन होने के पश्चात वर्ष 2009 में चुनाव हुआ। सागर लोकसभा सीट से भूपेंद्र सिंह को मौका मिला और वे जीते। इसके बाद लक्ष्मीनारायण यादव व राजबहादुर सिंह सांसद बने।
वर्ष 2009 में सागर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले भूपेंद्र सिंह कुछ महीने पहले ही दिसंबर, 2008 में खुरई विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे। इसके बाद उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट मिला। वे जीत भी गए। भूपेंद्र सिंह ने सांसद रहते वर्ष 2013 में पुन: खुरई विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए। इसके बाद वे लगातार तीन बार से विधायक हैं। मंत्री भी रहे।
इस सीट ने राजबहादुर सिंह को राजनीतिक रूप से शानदार ऊंचाई दी। वर्ष 2019 में सागर सीट से सांसद चुने गए राजबहादुर सिंह इससे पहले पार्षद रहे। वे दो बार सागर नगर निगम में पार्षद रहे। पार्षद के साथ ही नगर निगम अध्यक्ष रहते हुए उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने का टिकट मिला और वे जीते भी।