राजधानी में तेंदुए के मूवमेंट से मची खलबली, वीडियो में दिखा अब वन विभाग को नहीं आ रहा नजर
राजधानी में घूम रहा तेंदुआ वन विभाग ने लगाए पिंजरे
राजधानी में तेंदुए के मूवमेंट से मची खलबली, वीडियो में दिखा अब वन विभाग को नहीं आ रहा नजर
राजधानी भोपाल में इन दिनों वन्य प्राणी तेंदुए की हलचल देखी जा रही है। भोज यूनिवर्सिटी कैंपस के आवासीय परिसर में एक तेंदुआ सोमवार रात 8 बजे कैम्पस में घूमते हुए दिखाई दिया है। वीडियो में वह आवासीय परिसर के गेटों के पास नजर आ रहा हैं सूचना मिलते ही वन विभाग ने सीसीटीवी कैमरे और पिंजरे लगाए हैं। कैंपस में रहने वाले लोग उसे टाइगर समझकर दहशत में आ गए। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और पिंजरे लगाए। बताया जाता है कि तेंदुआ अभी कैम्पस में ही है। वह क्वार्टरों के आसपास घूमते हुए नजर आ रहा है। वन विभाग ने लोगों को घरों में रहने को कहा गया है। सोमवार की रात में 2 बार तेंदुआ दिखाई दिया था, फिर गायब हो गया। मंगलवार के बाद अभी तक तेंदुआ नजर नहीं आया है। कुछ दिन पहले भी यहां तेंदुआ देखा गया था। यूनिवर्सिटी कैम्पस 25 एकड़ में फैला है। यह चूना भट्टी और कोलार रोड सर्व-धर्म पुल के बीच है। इसके बीचों-बीच से कलियासोत नदी है। पीछे वाल्मीकि की पहाड़ी है। केरवा क्षेत्र भी कुछ दूर ही है। केरवा और कलियासोत का इलाका बाघ का एरिया है, यहां अक्सर बाघ और तेंदुए देखते जाते हैं। यूनीवर्सिटी कैंपस में करीब 50 परिवार रहते हैं। तेंदुए के मूवमेंट के बाद यूनिवर्सिटी कैम्पस में रातभर 10 कर्मचारियों की टीम सर्चिंग करती रही। अफसरों ने बताया कि कैम्पस के पीछे जंगल है। तेंदुआ वहीं से आया है। यहां पर कई टाइगर और तेंदुए है। तेंदुए को खदेड़ने पर फोकस है। कैम्पस में कुत्तों की संख्या भी ज्यादा है। संभवत: शिकार की तलाश में तेंदुआ कैम्पस में आ गया होगा। वन विभाग ने शाम ढलने के बाद लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी है। अंधेरा होने पर तेंदुए के हमले की संभावना बढ़ जाती है। कैम्पस में रहने वाले लोग खिड़की-दरवाजे भी बंद करके रखें। बच्चों को घर के बाहर या पार्क में नहीं खेलने दें। जरूरत पड़ने पर 3-4 लोगों के समूह में ही बाहर निकलें। फरवरी 2022 में यहां टाइगर घूमते दिखा था। टाइगर कुलपति बंगले की बाउंड्रीवॉल के अंदर एक घंटे तक घूमते दिखा था। गीली मिट्टी पर जानवर के कुछ फुटप्रिंट मिले थे। जांच में यह टाइगर के निकले थे। रहवासी इलाके में वन प्राणी का मूवमेंट खतरे की घंटी है। अब देखना होगा कि वन विभाग कैसे लोगों को भयमुक्त वातावरण देता है।