Sagar-मिल गया रामसेतु वाला पत्थर! पानी में तैरता दिखा, अफ्रीका से लेकर आए वैज्ञानिक

 

त्रेता युग में जब रावण माता सीता का हरण कर लंका ले गया था तब लंका तक पहुंचाने के लिए भगवान श्री राम की वानर सेना के द्वारा समुद्र पर रामसेतु बनाया गया था, राम सेतु बनाने के लिए नल और नील नाम के वानरों के द्वारा समुद्र में जिन पत्थरों को फेंका जाता था वह डूबते नहीं थे, इसी तरह का एक पत्थर सागर यूनिवर्सिटी के जियोलॉजिकल म्यूजियम में रखा है, जैसे करीब 15 साल पहले जियोलॉजिकल इंडिया सर्वे के आर के त्रिपाठी ईस्ट अफ्रीका से लेकर आए थे, माना जाता है कि ऐसे ही या इस तरह के ही पत्थरों का उपयोग रामसेतु को बनाने में किया गया होगा,

 

 


जियोलॉजिकल डिपार्टमेंट के हेड प्रो. हेरल थॉमस बताते हैं कि यह फ्लोटिंग पत्थर है जो लावा के समय एयर या बलून इनके अंदर रह जाते हैं. लाखों साल के बाद जब इनमें से वह हवा निकलती है तो इनमें छिद्र हो जाते हैं. इन छिद्र की वजह से इनकी डेंसिटी पानी से कम हो जाती है. जिसकी वजह से यह पानी में तैरते हैं. उन्होंने बताया कि यह पत्थर 65 मिलियन ईयर पुराना तक हो सकता है.

 

 


रामसेतु की बात करें तो वह लाइमस्टोन और कोरल ड्रीफ से बना हुआ था. हो सकता है फ्लोटिंग स्टोन या प्यूमिस का भी उपयोग उसे समय किया गया होगा. इसको एकदम से नकार नहीं सकते कि इसका उपयोग नहीं किया गया होगा. 1480 के आसपास लोग उसे पर पैदल भी चलते थे लेकिन आंधी तूफान की वजह से वह समुद्र में नीचे चला गया और बीच-बीच में टूट भी गया. कार्बन डेटिंग देखें तो इससे पता चलता है कि रामसेतु की उम्र 7000 ईयर है. और यह पीरियड रामायण से मैच कर सकती है. अभी इस पर रिसर्च तो हुई है लेकिन और भी रिसर्च करके बहुत कुछ पाया जा सकता है.


By - sagartvnews
17-Apr-2024

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