सागर-ढाई हजार साल पुरानी साधना कर रहे कैदी, 10 दिन मिलना-जुलना बोल-चाल बंद
जेल में कैदियों की अनोखी साधना देख कर हैरान रह जायँगे आप
सागर-ढाई हजार साल पुरानी साधना कर रहे कैदी, 10 दिन मिलना-जुलना बोल-चाल बंद
भगवान बौद्ध ने ढाई हजार साल पहले मन को बुरे विचारो से मुक्त करने विपश्यना साधना की खोज की थी. यह बेहद कठिन साधनाओं में से एक है. क्योंकि इसको पूरी तरह से एंकात में किया जाता, जितने भी दिन साधना को किया जाता है. उतने दिन घर के सदस्यों तक से भी मुलाकात नहीं होने दी जाती है, न मोबाइल फोन पर बातचीत हो सकती है न कुछ पढ़ सकते है न कुछ सुन सकते है केवल ध्यान किया जाता है, साधना से मन को निर्विचार और निर्विकार किया जाता है,ऐसी ही 10 दिन की कठिन साधना सागर केंद्रीय जेल में कैदियों के द्वारा की गई है. कैदियों के आध्यात्मिक और सर्वांगीण विकास के लिए इसको कराया जा रहा है. इसकी वजह से अगर कैदियों के मन में नफरत बदले की भावना या गुस्सा है तो मन का परिवर्तन किया जा रहा है.
केंद्रीय जेल सागर में पहली बार इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है इस साधना को करने के लिए जेल परिसर के अंदर एकांत में बने वार्ड को लिया गया है. जिसमें 29 कैदी इस साधना को कर रहे हैं साधना के दौरान इनके परिवार से होने वाली मुलाकात को बंद किया गया है, जेल के अंदर रहने वाले दूसरे कैदियों से भी मुलाकात और बोलचाल नहीं हो पा रही है,
केंद्रीय जेल अधीक्षक मानवेंद्र सिंह परिहार ने बताया कि अभी तक जेल में अलग-अलग तरह की अध्यात्म से जुड़े कार्यक्रम किए जाते थे. जिसमें कैदी कंफ्यूज होते थे कि वह क्या करें क्या ना करें ऐसे में जेल मुख्यालय ने अब यह कमान अपने हाथों में ली है. कैदियों के आध्यात्मिक विकास के लिए उन्होंने मध्य प्रदेश की 13 सेंट्रल जेल में अलग-अलग तरह के कार्यक्रम दिए हैं. सागर केंद्रीय जेल को विपश्यना ध्यान दिया गया है. अब इसके बाद होने वाले परिवर्तन या कैदियों में इसके लाभ को सीधा मुख्यालय में रिपोर्ट किया जाएगा