Sagar- Osho की Death का 35 साल बाद उनके भाई ने खोला राज देखिए
सदगुरुओशो के अनुसार पूर्व और पश्चिम का मिलन, अर्थात् आध्यात्मिक परंपराओं और सांसारिक गतिविधियों का एकीकरण जरूरी है। जैसे गौतम बुद्ध आत्म-ज्ञान, शांति, प्रेम और करुणा के प्रतीक हैं, वैसे ही ग्रीकज़ोरबा भौतिक धन-धान्य और विलासिता के प्रतीक हैं। सदगुरुओशो ध्यान एवं विज्ञान के संतुलन पर जोर देते हैं, पूर्व और पश्चिम, दोनों संस्कृतियों के योगदोनों का सामंजस्य चाहते हैं। वे सांसारिक सफलता, सुविधा, स्वास्थ्य के संग आंतरिक शांति, प्रीति, समाधि को समान रूप से महत्वपूर्ण बताते हैं।
संक्षेप में वे इस संश्लेषण को झोरबादि बुद्ध कहकर पुकारते हैं। श्री रजनीश ध्यान मंदिर, सोनीपत, हरियाणा से ओशो के अनुज डॉ. स्वामी शैलेंद्र सरस्वती एवं मां अमृत प्रिया जी, ‘बाहर सुख, भीतर शांति विषय पर सारगर्भित संबोधन देने पधार रहे हैं। 23 मई को संध्या 4 बजे से ओशो की शिक्षा पर प्रवचन एवं ध्यान प्रयोग होंगे। जिज्ञासुओं के प्रश्नों के उत्तर भी दिए जाएंगे।