भीषण गर्मी में पीने के पानी को तरसते आदिवासी,सरकार की योजनाओं से दूर गांव
भीषण गर्मी में पीने के पानी को तरसते आदिवासी,सरकार की योजनाओं से दूर गांव
आदिवासी परिवारों को पीने के पानी के लिए करना रात्रिजागरण
आदिवासी परिवारों के उत्थान के लिए चलाई जा रही जन मन योजना इन गरीब परिवारों के लिए वरदान साबित हो सकती थी लेकिन सरकारी तंत्र की नाकामी ने वरदान साबित होने वाली इस महत्वपूर्ण योजना को बर्बाद कर दिया केंद्र सरकार की यह महत्वपूर्ण योजना महज कागजों तक सीमित बनकर रह गई है। जी हां हम बात कर रहे हैं विदिशा जिले के सिरोंज विकासखंड के ग्राम पंचायत छापू के मनहार टपरा आदिवासी बाहुल्य इलाके की जहां पीने के लिए पानी नहीं है आदिवासी परिवार की महिलाएं रात्रि जागरण कर हेड पंप पर लंबी-लंबी कतार लगने को मजबूर है क्योंकि लगभग 500 लोगों की बस्ती में मात्र एक हेड पंप चालू है जिसे लगातार चलाने के बाद बूंद बूंद पानी मिल पाता है, यहां कहने के लिए नल जल योजना के नाम पर पैसा तो खर्च किया गया है लेकिन इसका लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाया
सरकार भले ही विकास के तमाम बादे कर रही हो लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ ओर ही है सबका साथ सबका विकास का नारा भी इस बस्ती में खड़े होकर सुनना कुछ अजीब ही लगता है क्योंकि यह आदिवासी परिवार आज भी प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ से वंचित है यह आदिवासी परिवार आज भी झुग्गी झोपड़ियो में निवास कर अपना जीवन यापन करने को मजबूर है