सागर-कभी न हो धन की कमी तो चांदी में आज ही पहने रुद्राक्ष,भगवान की आंख से निकला रूद्र सबसे श्रेष्ठ
सागर के रविंद्र भवन में दो दिन वृंदावन से आए पं कौशिक महाराज ने दो दिन तक श्री महेश्वर कथा सुनाई, जिसमे उन्होंने रुद्राक्ष के महत्व और उसके धारण करने को लेकर विस्तार से चर्चा की महाराज के अनुसार उन्होंने 1 से लेकर 14 मुखी रुद्राक्षों के महत्व को समझाते हुए बताया भगवान शंकर की दाहिनी आंख से रुद्राक्ष एवं बायीं आंख से वैतरणी पैदा हुए हैं।
सबसे छोटा रुद्राक्ष ही श्रेष्ठ होता है। रुद्राक्ष को चांदी में पहनने से धन की बर्बादी नहीं होती और सोने में पहनने से क्रोध पर नियंत्रण करने में सफलता मिलती है। रुद्राक्ष सभी वर्ग के लोग धारण कर सकते हैं इसमें कोई बंधन नहीं है। उन्होंने कहा कि रुद्राक्ष की जपने के लिए अलग और पहनने के लिए अलग माला होनी चाहिए।
शयन के वक्त माला उतार दें और एक रुद्राक्ष पहने हैं तो धारण करके सभी काम कर सकते हैं। महाराज ने कहा कि यह सही है कि बाजार में नकली रुद्राक्ष ही बिक रहे हैं। असली रुद्राक्ष की पहचान करें वह नेपाल से आता है। रुद्राक्ष धारण करने से शिव सहित सभी देवता प्रसन्न होते हैं।
कौशिक महाराज ने नदियों की महिमा का बखान करते हुए कहा कि मां गंगा 100 मुखी, सरस्वती 60 और मां नर्मदा 24 मुखी हैं। उन्होंने कहा कि मां नर्मदा पृथ्वी पर 5 करोड़ साल पुरानी हैं।
महाराज ने आगे बताया कि वैसे तुलसी माला और रुद्राक्ष धारण करने पर तामसी प्रवृति के लहसुन और प्याज का भी सेवन नहीं करना चाहिए। यदि इनका सेवन करते हैं तो सिर्फ पूजा के समय ही इन्हें धारण करना, शराब और मांस का सेवन करने वाला रुद्राक्ष धारण करने का अधिकारी नहीं है। यदि कभी इनका सेवन किया है और अब पूरी तरह त्याग कर चुके हैं तो रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।