कच्चा रास्ता पार करके 1 किलोमीटर दूर पहुंचते छात्र-छात्रा स्कूल,वर्षो से बनी हुई परेशानी
भले ही प्रदेश सरकार की ओर से शासकीय शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है, लेकिन अगर स्कूल तक पहुंचने के लिए दलदल नुमा पगडंडी भरे रास्ते से स्कूल जाना पड़े तो सरकार व सिस्टम पर सवाल खड़े होना लाजिमी है। दरअसल मामला दमोह जिले के पथरिया ब्लाक के ग्राम सूखा से जुड़ा है। स्कूल तो बना दिया गया लेकिन बच्चों को स्कूल पहुंचने लिए कच्चे रास्ते से जाना पड़ रहा है। स्कूल में करीब 5 गांव के बच्चे अपना भविष्य संवारने के लिए पहुंचते है और बारिश के मौसम में पुलिया को पार करना पड़ता है।
और ना तो विद्यालय में छात्रों के लिए पीने के पानी की सुविधा है और ना ही खेल ग्राउंड और न ही बाउंड्रीवॉल है। बता दे कि यह विद्यालय गांव के बाहर करीब 1 किलोमीटर दूर खेत पर बना हुआ है। जहां सीमांकन न होने की वजह से ना तो बाउंड्री बाल है, और ना ही खेल ग्राउंड यहां तक की विद्यालय पहुंचने के लिए चारों तरफ से कोई रास्ता नहीं है। बच्चे बरसात के समय कीचड़ में परेशान होते हुए गिरते उठने विद्यालय पहुंचते है। दसवीं की छात्रा हेमलता कुर्मी ने बताया कि विद्यालय के लिए सड़क नहीं बनी है।
स्कूल तक पहुंचने के लिए खेतों से होकर विद्यालय जाना होता है और वापस लौटना पड़ता है। और बरसात की समय में नाला पार करने में भी परेशानी होती है। अगर विद्यालय तक सड़क बन जाए और पुलिया दुरुस्त हो जाए तो हमारे बाद हमारे छोटे भाई बहनों को विद्यालय पहुंचने में आसानी होगी। छात्र जीवन पटेल ने बताया कि स्कूल तक पहुंचने में रास्ता बहुत ही खराब है बारिश या तूफान आ जाए तो बड़ी परेशानी होती है नाला बीच में पड़ता है। जिस पर पुलिया तो बनी है लेकिन उसके ऊपर पानी आ जाने की वजह से पार करना बड़ा मुश्किल होता है। अभी पिछले दिन बारिश हुई थी जिस वजह से हम लोग फंस गए थे गांव वालों ने ट्रैक्टर की मदद से हम लोगों को निकाला था और दो बहने भी इस कीचड़ में फिसल कर गिरी थी।
अगर रास्ता बन जाए तो विद्यालय तक पहुंचने में आसानी होगी। छात्रा दीक्षा लोधी ने बताया कि विद्यालय में खेलने के लिए ग्राउंड नहीं है और ना ही स्कूल के चारों तरफ बाउंड्री यहां आस-पास खेती होती है जिस जानवर और कीड़े मकोड़ों का भी डर बना रहता है। एवं स्कूल में पीने के लिए पानी नहीं है। स्कूल में काफी समस्याएं हैं लेकिन कोई इस और ध्यान नहीं दे रहा है। छात्रों को इस समस्या का सामना वर्षों से करना पड़ रहा है, लेकिन जिले के जनप्रतिनिधियों व जिम्मेदार अधिकारियों की नजर आज तक इन बच्चों को होने वाली समस्या पर नहीं पड़ी।
ग्रामीणों व स्कूल प्रबंधन की ओर से कई बार इस मामले की शिकायत जिले के आला अधिकारियों से की है, लेकिन कोई ध्यान देने वाला नहीं है। बच्चों के अभिभावक नहीं बल्कि स्कूल के शिक्षक भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। रास्ता न होने की समस्या की चलते लगातार विद्यार्थियों की दर्ज संख्या कम होती जा रही है स्कूल प्राचार्य दलपत सिंह लोधी ने बताया कि स्कूल तक पहुंचाने के लिए रास्ता नहीं है और ना ही स्कूल परिसर में बाउंड्री है जिससे काफी समस्या होती है।
इसी कारण से बच्चों की दर्ज संख्या भी पिछली चार-पांच वर्षों में लगातार कम हुई है पहले सैकड़ो की संख्या में दर्ज संख्या रहती थी आज के समय 60-65 बच्चों की दर्ज है। विद्यार्थियों को बरसात की मौसम में तो परेशानी होती ही है साथ भी हम लोगों को भी यहां तक पहुंचने में पसीना आ जाता है। यहां तक कोई वाहन नहीं पहुंच पाता, और जूते भी हाथ में लेकर विद्यालय तक आते हैं इस संबंध में जिला कलेक्टर और शिक्षा विभाग की अधिकारियों को लिखित में भी अवगत करवा दिया है लेकिन आश्वाशन के अलावा आज तक कुछ प्राप्त नहीं हुआ विद्यालय के निरीक्षण के लिए भी रास्ता न होने की वजह से कभी बरसात की मौसम में कोई भी अधिकारी नहीं आते।