Sagar - This pagoda is not made of bricks and mortar, nature has made it the abode of Lord Bholenath sagar tv news
Sagar-ईंट-गारे से नहीं बना है यह शिवालय, प्रकृति ने बनाया भगवान भोलेनाथ का आशियाना
यह शिवलिंग और शिवालय अद्वितीय हैं क्योंकि पीपल वृक्ष ने अपनी जड़ों से शिवलिंग के ऊपर मंदिर का आकार दिया है। इसके अंदर भी पीपल की जड़ों से बनी दीवारें मौजूद हैं, जो इसे और भी विशेष बनाती हैं। यह शिवलिंग काफी लंबे समय से यहां स्थापित है। स्थानीय लोगों के बीच आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। लोग यहां शिवलिंग की पूजा करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
यह अनोखा शिवालय सागर जिले के केसली विकासखंड के मेहका केरपानी गांव में है जिसे न मानव ने बनाया है और न ही इसमें ईंट, गारा, सीमेंट या रेत का उपयोग हुआ है। यह भगवान शिव का आशियाना प्रकृति ने स्वयं तैयार किया है।
इस शिवालय की कहानी भी बेहद रोचक है। ग्राम के निवासी हरिशंकर दुबे ने यहां शिवलिंग की स्थापना कर एक छोटा सा शिवालय बनवाया था। उसी शिवालय के अंदर एक पीपल का पेड़ उग गया, जिसने धीरे-धीरे आकार लेना शुरू किया। यह पीपल का पेड़ इतना विशाल हो गया कि इसने शिवालय का ढांचा ही फाड़ दिया। तब दुबे परिवार ने शिवालय की छत और दीवारें हटा दीं और शिवालय का वर्तमान स्वरूप सामने आया।
यह पीपल के पेड़ की जड़ों और तने की अद्भुत कारीगरी है, जिसने शिवलिंग के चारों ओर एक छोटी मढिया जैसा ताना-बाना बुन दिया है। पीपल की जड़ें नीचे से ऊपर तक आकार ले चुकी हैं और लोग अब इस चमत्कार को देखने आते रहते हैं। सावन के महीने में विशेष रूप से सोमवार को दूर-दूर से श्रद्धालु यहां जुटने लगते हैं। इस अद्वितीय शिवालय को देखने और भगवान भोलेनाथ की आराधना करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। प्रकृति के इस चमत्कार को देखने आने वाले लोग इसे एक अनोखा और पवित्र स्थान मानते हैं