Sagar- White fly is ruining yellow gold, outbreak of this disease on soybean crop, save it like this
सागर सहित पूरे बुंदेलखंड में इस बार सोयाबीन और उड़द की 10 लाख हेक्टेयर से अधिक में खेती की जा रही है. मानसून मेहरबान होने से संभाग के जिलों में औसत बारिश भी 3 महीने में ही पूरी हो चुकी है. ज्यादा पानी गिरने से सोयाबीन और उड़द में पीला मोजेक वायरस का प्रकोप देखने को मिल रहा है. इसकी वजह से फसल में पौधों की पत्तियां पीली हो रही हैं.
सोयाबीन में इस बीमारी का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिल रहा है. समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो काफी नुकसान हो सकता है. क्योंकि, अभी सोयाबीन में फूल आना शुरू हुए हैं. पीला मोजेक प्रकोप एक पेड़ से दूसरे पेड़ में भी आसानी से हो जाता है.
सागर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. आशीष त्रिपाठी ने बताया कि यह एक विषाणु जनित रोग है, जो वर्तमान में सोयाबीन व उड़द की फसल में देखा जा रहा है. इसका प्रकोप उन क्षेत्रों में खासतौर से होता है, जहां ग्रीष्मकालीन मूंग, उड़द अथवा सोयाबीन की फसल लगाई गई हो. यह बीमारी सफेद मक्खी नामक कीट द्वारा फैलती है. इस स्थिति में रोगी पौधों को निकाल कर एकत्र करें. गड्ढा खोदकर उसके अंदर नष्ट कर दें. सफेद मक्खी के नियंत्रण के थायोमेथाक्साम 25% या इमिडाक्लोपिड 17.8 एसएल या एसिटामीपिड की 100 ग्राम मात्रा को 150 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के मान से छिड़काव कर सकते हैं. दवा का एक स्प्रे करने के बाद पौधों को पोषक तत्व देने के लिए एनपीएफ 19:19 या एनपीएफ 18:18 का छिड़काव करना चाहिए