Sagar- Police had fired indiscriminate bullets on Gopal Bhargava, four friends were martyred in front of their eyes!
5 सितंबर 1984 को सागर जिले की गढ़ाकोटा में हुए ऐतिहासिक आंदोलन को हुए भले ही 40 साल हो चुके हैं, लेकिन यहां के लोग जब इसको याद करते हैं तो आज भी सहम जाते हैं, और उस समय के वो कभी न भूलने वाले दृश्य उनकी आंखों के झूल जाते हैं, कॉलेज अस्पताल और तहसील भवन की मांग को लेकर हुए इस आंदोलन में लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे थे धीरे-धीरे आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया हालात ऐसे हो गए कि पुलिस ने भीड़ कंट्रोल करने के लिए अंधाधुंध फायरिंग कर दी, गोलियों से छलनी छलनी हुए चार लोग नगर विकास के लिए कुर्बान हो गए लेकिन पीछे नहीं हटे वही उस समय पुलिस ने गोपाल भार्गव पर भी गोली चलाई थी लेकिन बताया जाता है कि गाय के गोबर पर पैर आने की वजह से वह फिसल गए थे, और गोली उनके पास से निकल गई थी
गोली कांड के बाद पूरा गढ़ाकोटा नगर छावनी में तब्दील था इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया था, नगर विकास के लिए शहीद होने वाले ऐसे महापुरुषों की याद में गढ़ाकोटा में हर साल 5 सितंबर को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है, शहीदों के परिजन को कार्यक्रम में आमंत्रित कर उनका सम्मान किया जाता है.
इस आंदोलन के बाद गोपाल भार्गव को भाजपा ने रहली विधानसभा से अपना उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतार दिया पार्टी की उम्मीद पर वह खरे उतरे और दो बार के विधायक महादेव प्रसाद हजारी को मात देकर भाजपा की जीत का खाता खोला और इसके बाद उन्होंने कभी पलट कर पीछे नहीं देखा अब तक रिकॉर्ड नौ बार इस विधानसभा से विधायक चुने गए हैं वर्तमान में वह मध्य प्रदेश के सबसे सीनियर विधायक हैं.
कार्यक्रम का आयोजन करने वाले दीपू भार्गव ने बताया पुलिस ने आंदोलन कर रहे चेतराम कोरी,रफीक भाईजान को गोली मार दी जिससे मौके पर शहीद हुए उसी दौरान जिले के प्रभारी मंत्री बंशीलाल धृतलहरे सागर आये हुए थे दो युवा छात्र अपनी मांगों का ज्ञापन देने गए हुए थे कि आते वक्त गुल्लाई यादव,अशोक चौबे की सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी तो यह आंदोलन ओर उग्र हो गया इस दौरान गढ़ाकोटा में कर्फ्यू लग गया था