सागर-आंवला नवमी पर मेले में मंत्री की धर्मपत्नी ने पूजा अर्चना कर महिलाओं को बांटी सुहाग की सामग्री
सागर जिले के खुरई में आंवला नवमी पर पातालिया हनुमान मंदिर परिसर में लगा मेला। महिलाओं ने वृक्ष की परिक्रमा व पूजन कर बांधा रक्षा सूत्र। कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी व्रत किया जाता है। इसे अक्षय नवमी भी कहते हैं। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा कर उसके नीचे खाना बनाने और वहीं पर खाना खाने की परंपरा है। बताया जाता है कि आंवले के पेड़ में त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु, महेश सहित सभी देवताओं का वास होता है। मान्यता है कि आंवला नवमी पर व्रत व पूजा करने से संतान सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। पुराण में आंवले को साक्षात विष्णु का ही स्वरूप कहा गया है।
इसे विष्णु प्रिय भी कहा जाता है। आंवला पूजन से महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है। इस दिन राधा-कृष्ण के साथ ही भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा भी की जाती है। आंवला नवमी पर आंवला वृक्षों के नीचे श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही शहर के डोहला मंदिर, क्षीरसागर मंदिर परिसर, एमपीवी कार्यालय, पातालिया हनुमान मंदिर बगीचा, रेंजर ऑफिस सहित अन्य आंवला वृक्षों वाले बगीचों में श्रद्धालुओं का ताता शाम तक लगा रहा। पातालिया हनुमान मंदिर परिसर में मेला आयोजित किया गया। पातालिया हनुमान मंदिर परिसर में पूर्व नगरीय विकास एवं आवास मंत्री की धर्मपत्नी सरोज सिंह ने पूजा अर्चना कर महिलाओं को सुहाग की सामग्री बांटी।
शृंगार सामग्री के साथ घरेलू उपयोग वाली सामग्री की दुकानें भी लगी रही, जिनसे श्रद्धालु महिलाओं ने खरीदारी की। महिलाओं ने एक दूसरे को सुहाग का टीका लगाकर सदा सुहागन रहने की कामना की और सुहाग सामग्री भी वितरित की। महिलाओं ने आंवला वृक्षों का हल्दी कुमकुम का टीका लगाकर पूजन किया वृक्ष की आरती की। कतकारियो ने आंवला वृक्ष के नीचे मंत्रोचार के बीच दीपदान किया ओर पंडितों को अन्नदान भी किया। इस अवसर पर भारी संख्या में महिलाएं पहुंची।