सागर-भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह गुट के बीच शह-मात का खेल जारी,ठगा हुआ महसूस कर रहा है समाज
बुंदेलखंड वैसे तो दशकों से बीजेपी का गढ़ माना जाता है. वक्त वक्त पर चुनावों के नतीजे भी इस बात की तस्दीक करते हैं. पर बीते कुछ दिनों से बाहरी तौर पर ना सही, लेकिन अंदरूनी तौर पर चल रही बीजेपी की उठा पटक अब खुलकर सामने आने लगी है. हाल ही घटनाओं और बैठकों पर नजर डाले तो क्षत्रिय समाज के अध्यक्ष की नियुक्ति का मुद्दा लगातार गर्माता जा रहा है. चाहे दाल बाटी प्रोग्राम के बहाने या क्षेत्र की जनता से मुलाकात के बहाने चल रही, किसी भी बहाने से चल रहीं बैठकों में लगातार नए नए समीकरण बनते और बिगड़ते दिख रहे है.
जिसके बाद शहर की राजनीति शतरंज के दांव की तरह नजर आने लगी है. यहां पूरा खेल एक ही पार्टी के अंदर जारी है. जहां एक चाल में किसी का प्यादा अध्यक्ष पद की ओर एक कदम और बढ़ा लेता है तो प्रतिद्वंदी एक बैठक कर सामने वाले के प्यादे को पीट देता है. कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह दोनों के बीच यह सह और मात का खेल जारी है. कभी एक लाइन के प्रस्ताव में भूपेंद्र सिंह के भतीजे को समाज का अध्यक्ष घोषित कर दिया जाता है तो कुछ ही दिन के अंदर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भाई और जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत के निवास पर बैठक कर इस नियुक्ति को शून्य कर दिया जाता है.
इसके बाद चुने गए अध्यक्ष जो पद से तुरंत हटा भी दिए गए वो कलेक्टर साहब की शरण में पहुंच जाते हैं. मंगलवार को फिर हीरा सिंह राजपूत के निवास पर एक बैठक हुई. बताया जा रहा है कि यहा सुरखी विधानसभा क्षेत्र एवं अन्य विधानसभा क्षेत्र के गांवो से पधारे कार्यकर्ताओ और ग्रामीण जनों से हीरा सिंह ने मुलाकात की. और उनकी समस्याओं को सुना. लेकिन अंदर खाने की खबर ये है कि अभी भी समाज के अध्यक्ष पद को लेकर कोई न कोई खिचड़ी पक ही रही है. बहरहाल, समाज के फैसले दोनों नेताओं के सामने अदने से नजर आ रहे हैं. इसीलिए इन राजनेताओं की अंदरूनी खींचतान के बीच पूरा समाज खुद को ठगा हुआ महसूस करने की कगार पर पहुंच चुका है.