सागर- दूसरे दिन सागर में भक्ति का सागर, पं. इंद्रेश जी महाराज ने धर्म और परमधर्म का किया विशद विवेचन
सागर के श्री बालाजी मंदिर परिसर में चल रही सप्तदिवसीय श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को कथा व्यास पं. इंद्रेश जी महाराज ने धर्म और परमधर्म के गूढ़ रहस्यों का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि धर्म इस लोक की व्यवस्था का नाम है, जबकि परमधर्म का उद्देश्य परलोक को व्यवस्थित करना है। हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में कथा स्थल भक्तिमय माहौल में डूबा रहा। पं. इंद्रेश जी महाराज ने समझाया कि धर्म केवल जीवन यापन के लिए किए गए कर्म नहीं, बल्कि हर कृत्य में शुद्धता और पवित्रता बनाए रखना है। उन्होंने कहा,भोजन, भवन, भ्रमण, भाषा, कुटुंब प्रबोधन,
पर्यावरण संरक्षण, और सामाजिक समरसता धर्म का हिस्सा हैं। लेकिन परमधर्म वह है, जो हमें भगवान के परमधाम तक पहुंचाए। कथा श्रवण और भक्ति ही परमधर्म है।" उन्होंने भागवत प्राप्ति में ईर्ष्या को सबसे बड़ी बाधा बताते हुए कहा कि ईर्ष्या के रहते कोई भी व्यक्ति भगवत प्राप्ति नहीं कर सकता। साथ ही उन्होंने श्रीमद भागवत को साक्षात श्रीकृष्ण का स्वरूप बताते हुए कहा,भागवत का हर शब्द भगवान श्रीकृष्ण का प्रतीक है। जो लोग वृंदावन में ठाकुर जी को मानते हैं, उन्हें अपने घर के ठाकुर जी को भी उतना ही सम्मान देना चाहिए।" कथा के दौरान पं. इंद्रेश जी ने काशी के भागवत पाठक ब्राह्मण और काले खान की प्रेरणादायक और भावुक कथा सुनाई। साथ ही, मधुर भजनों के माध्यम से श्रद्धालुओं को भाव विभोर किया। भजन "मेरे तो गिरधर ही गुणगान" ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कथा स्थल को गोवर्धन पर्वत और आसपास के तालाबों को राधा-कृष्ण सरोवर बताते हुए उन्होंने सागर को भावनात्मक रूप से वृंदावन की उपमा दी। उन्होंने कहा,सागर के भक्तजन पुण्यात्माएं हैं, जो गिरिराज जी की तरह भक्ति की माला धारण करते हैं पं. इंद्रेश जी महाराज ने दक्षिणा में सभी भक्तों से गोपिगीत का नित्य पाठ करने और किसी एक ग्रंथ का अध्ययन कर उसे धारण करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा,भागवत के प्रारंभिक अक्षर ज कष्ट का प्रतीक हैं। हम सभी पीड़ित हैं और भागवत का श्रवण हमें इस पीड़ा से मुक्ति दिला सकता है कथा के दूसरे दिन राज्य मंत्री लखन पटेल, विधायक जयंत मलैया और अजय विश्नोई, पर्यटन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष विनोद गोटिया सहित कई गणमान्य अतिथियों ने
व्यास मंच पर पहुंचकर कथा श्रवण किया। मुख्य यजमान अनुश्री-शैलेन्द्र कुमार जैन व उनके परिवार ने व्यास पीठ की आरती की। हजारों श्रद्धालु कथा स्थल पर उपस्थित रहे और भक्ति रस में सराबोर हो गए। कथा के समापन पर पं. इंद्रेश जी महाराज ने श्रद्धालुओं से भगवान श्रीकृष्ण के गुणगान करते हुए अपनी जीवन शैली में भक्ति को शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, काम करते चलो, नाम जपते चलो। यही मार्ग है, जिससे हम हरिपुरम को प्राप्त कर सकते हैं श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन सागर में धर्म और भक्ति का अनुपम संगम देखने को मिला। श्रद्धालुओं ने भक्ति के इस महोत्सव में अपनी आस्था और श्रद्धा व्यक्त करते हुए धर्मलाभ अर्जित किया।