Sagar-पुस्तक मेले में हो रही सिर्फ ब्रांडिंग, अभिभावकों ने मीडिया के सामने बताई सच्चाई
जल्द ही स्कूल खुलने वाले हैं, और ज्यादातर छात्रों को नए शिक्षण सत्र में पुस्तकें, यूनिफॉर्म और अन्य स्कूल के सामान खरीदने हैं। 1 अप्रैल से पहले अभिभावकों को राहत दिलाने के लिए सागर कलेक्टर ने सराहनीय पहल करते हुए तीन दिवसीय पुस्तक मेला लगाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन पहले ही दिन छात्र और उनके अभिभावक यहां से नाखुश होकर लौटे। कारण यह रहा कि न तो किताबों में रियायत मिल रही थी, और न ही अभिभावकों को वह पुस्तकें उपलब्ध हो पाईं, जिनकी सूची वे लेकर आए थे। यहां तक कि निजी स्कूलों की सामग्री एक ही स्टेशनरी पर उपलब्ध थी, जिससे अभिभावकों का कहना था कि इससे अच्छा तो वे उन्हीं की दुकान से खरीद लें।
मेला लगाने का कोई फायदा ही नहीं दिख रहा था। यूनिफॉर्म, टाई, जूते तक कोई लेकर नहीं पहुंचा। पुस्तक मेले में आने वाले 80 प्रतिशत लोगों की यही शिकायत रही। उन्होंने एंट्री रजिस्टर में भी अपनी शिकायत दर्ज करवाई। पहले दिन मुश्किल से चार से छह स्टेशनरी विक्रेताओं की दुकानें ही लग पाईं, और वे भी पर्याप्त सामग्री लेकर नहीं पहुंचे थे। कई लोगों को दोबारा अगले दिन आकर किताबें खरीदने का सुझाव दिया गया। बता दें कि पुस्तक मेला 28 मार्च से शुरू होकर 31 मार्च तक चलेगा। पहला दिन तो निकल गया, और अभिभावक इस व्यवस्था से नाखुश नजर आए।
इधर, जिम्मेदारों ने आश्वासन दिया है कि 30 और 31 मार्च को सभी किताबें उपलब्ध करवाई जाएंगी। मेला शाम 4 बजे से 8 बजे तक लगेगा। इस मेले को लगाने का उद्देश्य यह है कि प्राइवेट स्कूल प्रबंधन छात्रों और अभिभावकों को पुस्तकें, यूनिफॉर्म, टाई, जूते आदि चयनित विक्रेताओं से खरीदने के लिए औपचारिक या अनौपचारिक रूप से बाध्य न कर सके। छात्र या अभिभावक इन सामग्रियों को खुले बाजार से खरीदने के लिए स्वतंत्र होंगे। लेकिन इस पुस्तक मेले के पहले दिन ही अभिभावक क्या बोले देखिए