सागर-राय हॉस्पिटल की मनमानी से परेशान परिजन पहुंचे कलेक्टर बंगला, इलाज नहीं, ऑपरेशन नहीं, बस दर्द और इंतजार
सागर जिले की चर्चित राय हॉस्पिटल एक बार फिर सवालों के घेरे में है। एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल मरीज को भर्ती तो किया गया, लेकिन बीते तीन दिनों से न ऑपरेशन हुआ, न इलाज शुरू हुआ। परेशान परिजन शुक्रवार की सुबह 7 बजे सीधे कलेक्टर संदीप जी आर के बंगले पहुंच गए, जहां उन्होंने न्याय की गुहार लगाई।
घटना कुछ दिन पहले सागर में हुए बस हादसे की है, जिसमें एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया था। मरीज को पहले मेडिकल कॉलेज BMC सागर लाया गया, जहां डॉक्टर्स ने परिजनों को सलाह दी कि हालत गंभीर है, मरीज को तत्काल प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट करें। परिजनों ने बंसल और राय हॉस्पिटल में संपर्क किया। बंसल ने मना कर दिया, जबकि राय हॉस्पिटल ने मरीज को भर्ती कर लिया।
परिजनों को बताया गया कि आयुष्मान योजना के तहत इलाज संभव है। लेकिन तीन दिन बीत जाने के बाद भी न तो इलाज शुरू हुआ, न ऑपरेशन हुआ। उलटा हॉस्पिटल प्रबंधन परिजनों से डेढ़ लाख रुपये की मांग कर रहा है।
पीड़ित परिजन शुक्रवार को सागर कलेक्टर के बंगले पहुंचे। उन्होंने कलेक्टर से मुलाकात कर पूरे मामले की जानकारी दी। कलेक्टर ने एसडीएम से बात कर त्वरित समाधान का आश्वासन दिया। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब सरकारी डॉक्टरों ने प्राइवेट हॉस्पिटल की सलाह दी, तो राय हॉस्पिटल ने मरीज को तीन दिन तक भर्ती क्यों रखा, बिना इलाज किए?
परिजनों ने बताया कि मरीज दर्द से कराह रहा है, उसके पांव में गंभीर घाव है, लेकिन हॉस्पिटल में सिर्फ बहाने मिल रहे हैं। जब परिजन छुट्टी मांगते हैं ताकि वे मरीज को भोपाल ले जा सकें, तो हॉस्पिटल बहाने बनाता है और छुट्टी देने में भी आनाकानी कर रहा है।
परिजनों का कहना है, "अगर राय हॉस्पिटल में इलाज नहीं करना था, तो तीन दिन क्यों बर्बाद किए? मरीज की हालत और खराब हो रही है। गरीब लोग हैं, आयुष्मान का सहारा लिया, लेकिन अब पैसे मांग कर दबाव बनाया जा रहा है।"
इस पूरे मामले ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं निजी अस्पतालों की जवाबदेही और आयुष्मान योजना की असलियत पर। क्या गरीबों के लिए इलाज अब सिर्फ कागजों में बचा है? क्या सिस्टम की लापरवाही एक और जान लेगी?
अब देखना होगा कि सागर प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। पीड़ित परिवार उम्मीद लगाए बैठा है कि न्याय जरूर मिलेगा।