पत्रकार के साथ रिपोर्टिंग के दौरान हुई कहासुनी फिर पुलिस की निष्क्रियता पर उठे सवाल
एमपी के सागर संभाग के दमोह जिले के हटा थाना क्षेत्र में एक सड़क हादसे की रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार जितेंद्र गौतम के साथ हुई मारपीट की घटना ने जिले में हलचल पैदा कर दी है। पत्रकार ने आरोप लगाया है कि उन्हें स्थानीय विधायक के परिजनों ने रिपोर्टिंग के दौरान रोका और मारपीट की। जितेंद्र गौतम ने बताया कि वह एक सड़क हादसे की रिपोर्टिंग कर रहे थे, तभी स्थानीय विधायक के परिजनों ने उन्हें रोका और मारपीट की। इस घटना के बाद पीड़ित पत्रकार थाने पहुंचे, लेकिन वहां से उन्हें त्वरित न्याय की बजाय निराशा ही हाथ लगी।
पत्रकार जितेंद्र गौतम का आरोप है कि थाने में भी उनके साथ अनुचित व्यवहार किया गया, और यह सब सीसीटीवी कैमरों में दर्ज है। इसके बावजूद थाना स्तर पर कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं की गई, जिससे पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं। इस रवैये के खिलाफ पत्रकार देर रात तक थाने के बाहर धरने पर बैठे रहे। शनिवार को दमोह जिला अस्पताल और बाद में अम्बेडकर चौक पर जिलेभर के पत्रकारों ने प्रदर्शन कर विधायक के परिजनों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की। प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे एसडीएम, एएसपी और सीएसपी ने पत्रकारों से आवेदन लेकर दो दिन में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया, जिसके बाद पत्रकारों ने धरना समाप्त कर दिया।
इस बीच एक ऑडियो भी सामने आया है, जिसमें पुलिस अधीक्षक श्रुतकीर्ति सोमवंशी कथित रूप से पत्रकार को विवादित स्थानों की रिपोर्टिंग से बचने की सलाह देते सुनाई दे रहे हैं। यह ऑडियो प्रशासन की कार्यशैली और सत्ता के दबाव को लेकर नई बहस को जन्म दे रहा है। दमोह में पत्रकार के साथ मारपीट की घटना ने जिले में हलचल पैदा कर दी है। पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठने लगे हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन दो दिन में उचित कार्रवाई करता है या नहीं। यह घटना पत्रकारों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गई है और इसके परिणामों का इंतजार किया जा रहा है।