भालू ने गांव के 15 ग्रामीण लोगों को पहुंचाया अस्पताल, वन विभाग ने चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन कर जंगल में छोड़ा
मध्यप्रदेश के सागर संभाग के दमोह जिले के नोहटा थाना अंतर्गत ग्राम सेमरा मड़िया में बीते कुछ दिनों से एक जंगली भालू (रीछ) ने दहशत का माहौल बना रखा था। यह भालू गांव में घुसकर अब तक करीब 10 से 15 लोगों पर हमला कर चुका था, जिनमें से कई गंभीर रूप से घायल हो गए। इस जानलेवा हमले के बाद ग्रामीणों में भय और चिंता का माहौल व्याप्त हो गया था। घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग और एसडीआरएफ (State Disaster Response Force) की टीम सक्रिय हुई और संयुक्त रूप से रेस्क्यू अभियान चलाया गया। पूरे अभियान का नेतृत्व वन मंडल अधिकारी (DFO) ईश्वर जरांडे के निर्देशन में किया गया, जिसमें बन रेंजर विक्रम चौधरी, सगोनी रेंज की वन टीम, एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
भालू को पकड़ना कोई आसान काम नहीं था। पूरे गांव को घेरते हुए सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई। टीम ने भालू की हर गतिविधि पर नजर रखी और सही समय पर उसे बेहोश करने वाली दवा (ट्रैंक्विलाइज़र गन) की मदद से काबू में लिया। इसके बाद उसे वन विभाग के वाहन में रखकर सुरक्षित रूप से जंगल के अंदर छोड़ा गया, जहां उसका स्वाभाविक रहवास है। DFO ईश्वर जरांडे ने बताया कि,भालू काफी आक्रामक स्थिति में था, लेकिन हमारी टीम की तत्परता और समन्वय के चलते बिना किसी और जान-माल के नुकसान के उसे पकड़ लिया गया और जंगल में छोड़ दिया गया है।
वन विभाग ने भालू के हमले में घायल सभी ग्रामीणों का उपचार भी सुनिश्चित कराया। बताया जा रहा है कि अधिकतर घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है, जबकि कुछ को जिला अस्पताल में रेफर किया गया है। भालू के पकड़ने की खबर के बाद गांव में राहत और सुकून का माहौल है। ग्रामीणों ने वन विभाग की तत्परता और टीम के प्रयासों की सराहना की। गांव के एक बुजुर्ग ग्रामीण ने बताया, भालू ने कई रातों से नींद छीन ली थी, बच्चों को बाहर नहीं निकलने दे रहे थे। अब जाकर चैन की सांस ली है। वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि यदि भविष्य में कोई वन्य प्राणी गांव में दिखाई दे, तो स्वयं कोई कार्रवाई न करें, तुरंत वन विभाग या पुलिस को सूचित करें।