सागर में प्रजा का हाल जानने निकले भगवान जगन्नाथ, रथ खींचते हुए चले भक्त | sagar tv news |
सागर में शुक्रवार शाम शहर के मंदिरों से भगवान जगन्नाथ रथयात्रा निकाली गई। जिसमें बलदाऊ और बहन सुभद्रा के साथ रथ में बैठकर भगवान जगन्नाथ प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। दरअसल, ज्येष्ठ पूर्णिमा पर अभिषेक स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ स्वामी की तबीयत खराब हो गई थी, जिनके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। 27 जून शुक्रवार को पूर्ण भगवान स्वस्थ होने के बाद शाम को बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ भक्तों को दर्शन देने के लिए भ्रमण पर निकले हैं। शहर के बिहारीजी मंदिर, रामबाग मंदिर, वृंदावन बाग और चकराघाट स्थित धनुषधारी मंदिर से रथयात्रा निकाली गई।
रामबाग मंदिर से भगवान जगन्नाथ फूलों से सजे रथ में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकले। रथयात्रा में ढोल-नगाड़े और ध्वज पताका शामिल हुईं। रथयात्रा मंदिर से शुरू होकर चमेली चौक, मोतीनगर, राहतगढ़ बस स्टैंड, विजय टॉकीज से होते हुए तीनबत्ती पहुंची। पूरे रास्ते में भगवान के दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ लगी रही। लोगों ने भगवान की आरती उतारी और दर्शन कर अपनी मनोकामना मांगी।
इस दौरान पुष्पवर्षा कर रथयात्रा का स्वागत किया गया। रथयात्रा मार्ग पर जय-जय जगन्नाथ के जयकारे गूंजते रहे। जगह-जगह मालपुआ की प्रसादी का वितरण किया गया। रथयात्रा में उमड़ी भक्तों की भीड़ ने भगवान जगन्नाथ की भक्ति में डूबकर उनकी आरती उतारी और दर्शन किए। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा धर्म ध्वजा की प्रतीक है। पुरी में रथ रुकने पर कहा जाता है भगवान मानोरा पधारे।
मान्यता है कि ओड़िशा के जगन्नाथपुरी में जब रथयात्रा के दौरान भगवान का रथ रुकता है, तब शंकराचार्य घोषणा करते हैं कि भगवान मानोरा पधार गए हैं और भगवान जगन्नाथ स्वामी तो महाप्रभु है जो सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जिसमें भक्तों की भीड़ उमड़ती है और भगवान के दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं मांगती है। सागर में निकाली गई रथयात्रा में भी भक्तों की भीड़ ने भगवान जगन्नाथ की भक्ति में डूबकर उनकी आरती उतारी और दर्शन किए।