Sagar -खुरई विधानसभा ने रचा इतिहास एक दिन में लगाए 61,700 पेड़ दादा गुरु हुए शामिल
सागर जिले की खुरई विधानसभा क्षेत्र के ग्राम कोलुआ में आज का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब युवा सरपंच विशाल लकी कुशवाहा की अगुवाई में एक पेड़ माँ के नाम अभियान के अंतर्गत वृक्षारोपण किया गया। इस अभियान के तहत पूर्व गृह एवं परिवहन मंत्री एवं खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह द्वारा एक ही दिन में 50 हजार पेड़ लगाने का रिकॉर्ड बनाया गया। दोपहर तक पूरे खुरई विधानसभा क्षेत्र में 61,700 से अधिक वृक्ष रोपित किए जा चुके थे। कार्यक्रम में उपस्थित नर्मदा पुत्र, प्रकृति उपासक पूज्य श्री समर्थ दादागुरु ने इस महाअभियान को “जीवंत और प्रत्यक्ष सहस्रकोटि यज्ञ” कहा। उन्होंने कहा कि वृक्ष ही माटी, वायु और जल – जीवन के तीनों मूल तत्वों के संरक्षण का आधार हैं, इनके बिना जीवन असंभव है।
भूपेंद्र सिंह ने कहा कि श्रावण मास शिव शक्ति की उपासना का पवित्र महीना है और इस मास में वृक्षारोपण करना विशेष पुण्य का काम है। उन्होंने बताया कि खुरई विधानसभा क्षेत्र में 51,000 देव वृक्षों की प्रतिमाओं की स्थापना की गई है। इस महाअभियान को “एक पेड़ माँ के नाम” शीर्षक देकर मातृ शक्ति को नमन किया गया। गांव के युवा सरपंच विशाल लकी कुशवाहा ने भी अपनी माँ के नाम पर वृक्षारोपण कर मिसाल पेश की। उन्होंने ग्रामीणों को प्रेरित करते हुए कहा कि हर व्यक्ति अपनी माँ के नाम पर एक पेड़ जरूर लगाए।
खुरई में वृक्षारोपण के आंकड़े, एक दिन में वृक्षारोपण: 61,700 पेड़, पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह द्वारा व्यक्तिगत अभियान: 50,000 पेड़, खुरई विधानसभा क्षेत्र के गाँवों में सामूहिक भागीदारी पूज्य श्री समर्थ दादागुरु ने अपने संबोधन में कहा कि प्रकृति हमारी माँ है, और हमें उसकी सेवा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वृक्ष लगाना केवल पेड़ रोपना नहीं, बल्कि भविष्य को सुरक्षित करना है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि पेड़ों की देखभाल करना भी उतना ही आवश्यक है, जितना उन्हें लगाना।
खुरई विधानसभा क्षेत्र ने एक बार फिर से सामूहिक शक्ति का परिचय दिया। ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और स्वयंसेवी संगठनों ने मिलकर इस महाअभियान को सफल बनाया। पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि आने वाले वर्षों में भी इसी तरह बड़े स्तर पर वृक्षारोपण कर खुरई को हरियाली का उदाहरण बनाया जाएगा। यह सिर्फ एक शुरुआत है, असली जिम्मेदारी अब इन पेड़ों की देखभाल और संरक्षण की है, ताकि खुरई की हरियाली पीढ़ियों तक बनी रहे।