Sagar- परसोरिया के पारस धाम में विराजे पद्मासन प्रभु पारसनाथ – श्रद्धा, उल्लास और भक्ति से गूंज उठा नगर
मध्य प्रदेश के परसोरिया में जैन समाज के लिए 26 जुलाई 2025 का दिन ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बन गया, जब चैतन्य चमत्कारी चिंतामणि भगवान श्री 1008 पारसनाथ की विशाल प्रतिमा को भव्य वेदी पर विराजमान किया गया। इस अलौकिक और अद्भुत दृश्य को देखकर श्रद्धालुओं की आंखें श्रद्धा और हर्ष से भर आईं।
संत शिरोमणि आचार्य गुरुदेव श्री विद्यासागर जी महाराज और नव आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद, तथा ऋषिराज सुधा सागर जी महाराज की प्रेरणा से निर्मित पारसनाथ धाम में जैसे ही क्रेन के माध्यम से भगवान पारसनाथ की विशाल प्रतिमा नवीन वेदिका पर स्थापित की गई, पूरा नगर भक्ति में सराबोर हो गया। ऐसा प्रतीत हुआ मानो फूलों की तरह उड़ते-उड़ते बड़े बाबा अपने उच्च आसन पर विराजमान हो गए हों।
भक्तगण ढोल-नगाड़ों की ताल पर झूमते-नाचते नजर आए। जयकारों की गूंज से आसमान भी पुलकित हो उठा। हर ओर से “चैतन्य चमत्कारी चिंतामणि पारसनाथ भगवान की जय” के नारे गूंज रहे थे। तालियों की आवाज से वातावरण भक्तिरस में भीग गया। यह दृश्य जिसने भी देखा, वह अभिभूत हो उठा। कार्यक्रम का कुशल संचालन हिंदुस्तान के प्रख्यात प्रतिष्ठाचार्य परम श्रद्धेय बाल ब्रह्मचारी पंडित प्रदीप भैया जी (सुयश, अशोक नगर) के सानिध्य में हुआ।
संपूर्ण जैन समाज ने भैया जी का हृदय से स्वागत, वंदन और अभिनंदन कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस किया। इस धार्मिक और सामाजिक योगदान की हर किसी ने सराहना की और अनुमोदना की। इस पूरे आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि जैन समाज में परंपरा, श्रद्धा और सामाजिक एकता की कितनी गहरी जड़ें हैं। नगर के प्रत्येक व्यक्ति के मन में गर्व और आनंद का भाव था। इस ऐतिहासिक पल को शब्दों में पिरोया दृष्टि दिव्यांग कवि, संगीतकार और गायक नीतेश जैन ‘सरगम’ ने, जिनके शब्दों ने आयोजन को और भी भावपूर्ण बना दिया।