सात फेरों से बचने के लिए बनी मास्टरमाइंड, फिर कैसे हुई फेल? जानें अर्चना मिसिंग केस की पूरी कहानी
कटनी की रहने वाली वकील अर्चना तिवारी की रहस्यमय गुमशुदगी का राज आखिरकार खुल गया है. 7 अगस्त को नर्मदा एक्सप्रेस से इंदौर से कटनी जा रही अर्चना ट्रेन से अचानक गायब हो गई थी. भोपाल स्टेशन के बाद उनका कोई अता-पता नहीं था. पुलिस ने दर्जनों CCTV खंगाले, सैकड़ों फोन कॉल्स ट्रेस किए और अंत में अर्चना को नेपाल बॉर्डर से वापस लाया गया.
पुलिस जांच में जो सच्चाई सामने आई, उसने हर किसी को चौंका दिया. दरअसल, अर्चना पर परिवार शादी का दबाव डाल रहा था. एक पटवारी से रिश्ता तय कर दिया गया था. लेकिन अर्चना का कहना था कि वह अभी शादी नहीं करना चाहती. वह वकालत के साथ-साथ सिविल जज की तैयारी भी कर रही थी. ऐसे में शादी का मतलब होता – करियर को बीच में छोड़ देना.
शादी के दबाव से परेशान होकर अर्चना ने अपने दोस्तों सारांश और तेजिंदर सिंह के साथ मिलकर एक फिल्मी प्लान बना लिया. उसने सोचा कि ट्रेन से अचानक गायब हो जाने पर किसी को शक नहीं होगा, क्योंकि अक्सर ट्रेन से यात्री लापता हो जाते हैं और मामले ठंडे बस्ते में चले जाते हैं.
योजना के मुताबिक, अर्चना ने ट्रेन में सफर किया और फिर तय लोकेशन पर पहुंचकर गायब हो गई. इसके बाद उसने नया फोन और नया सिम खरीदा ताकि कोई उसे ट्रेस न कर सके. अर्चना सीधा नेपाल के काठमांडू तक चली गई.
12 दिन तक चले सर्च ऑपरेशन के बाद आखिरकार पुलिस ने अर्चना को यूपी के लखीमपुर खीरी में नेपाल सीमा के पास से बरामद कर लिया. फिलहाल उसे पूछताछ के लिए भोपाल लाया गया है.