दिग्विजय के बयान से सियासत गरमाई: कमलनाथ ने दिया जबाब-सिंधिया बोले मैं अतीत की बात नहीं करता
साल 2020 में कमलनाथ सरकार के तख्तापलट को लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के एक बयान ने सियासी सरगर्मी बड़ा दी है। उन्होंने एक यूट्यूब चैनल के पॉडकास्ट में बड़ा दावा किया है बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उन्होंने एक बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट की मदद से तत्कालीन कमलनाथ सरकार को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाए।
इसके साथ ही उन्होंने कहा की ये आईडियोलॉजी का नहीं बल्कि पर्सनालिटी क्लैश के कारण सरकार गिरी थी। इसी बीच पूर्व सीएम कमलनाथ ने ने ट्वीट कर पलटवार करते हुए कहा सिंधिया को लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इसी नाराजगी में उन्होंने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा और हमारी सरकार गिराई थी। वही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस पर कुछ भी कहने से मना कर दिया।
दरसअल पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के इस बयान ने एमपी की राजनीति में हलचल मचा दी। उन्होंने पॉडकास्ट में कहा --- "वह एक ऐसे इंडस्ट्रियलिस्ट के पास गए, जिनके कमलनाथ और सिंधिया दोनों से अच्छे संबंध थे। उन्होंने उनसे कहा कि अगर दोनों नेताओं के बीच सुलह नहीं हुई तो सरकार गिर जाएगी। इसके बाद उस इंडस्ट्रियलिस्ट के घर डिनर का आयोजन हुआ जिसमें कमलनाथ, सिंधिया और दिग्विजय सिंह मौजूद थे। बैठक में सभी मुद्दों पर चर्चा हुई और एक “विश लिस्ट” भी तैयार की गई, जिस पर दोनों नेताओं ने दस्तखत किए। लेकिन उसका पालन नहीं हुआ और अंततः सरकार गिर गई।"
दिग्विजय सिंह ने साफ कहा कि यह पूरा मामला आईडियोलॉजी का नहीं बल्कि पर्सनालिटी क्लैश था। उन्हें इस बात का दुख है कि जिन लोगों पर उन्होंने भरोसा किया, उन्होंने ही धोखा दिया। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ सरकार गिरने की वजह कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच मतभेद को बताया था।
जबकि कमलनाथ ने इसका जवाब देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा की- मध्य प्रदेश में 2020 में मेरे नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरने को लेकर हाल ही में कुछ बयानबाजी की गई है। मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि पुरानी बातें उखाड़ने से कोई फायदा नहीं। लेकिन यह सच है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इसी नाराजगी में उन्होंने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा और हमारी सरकार गिराई।
इधर, दिग्विजय सिंह के बयान को गुना दौरे पर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया से जब इस पर प्रतिक्रिया मांगी गयी तो उन्होंने कहा की मैं अतीत की बात नहीं करूंगा और ये कहकर सवाल टाल दिया।
गौरतलब है कि 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बहुमत हासिल कर 15 साल बाद सत्ता में वापसी की थी और कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि पार्टी के भीतर असंतोष बना रहा। 15 महीने बाद सिंधिया ने बगावत कर दी और बीजेपी में शामिल हो गए। उनके साथ कई विधायक भी कांग्रेस छोड़कर चले गए, जिससे कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई और अंततः उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।