सागर- खुरई में शुरू हुए पितृ पक्ष, नदियों-तालाबों पर उमड़ी भीड़, पूर्वजों को दिया तर्पण
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इन दिनों पूर्वज धरती पर आते हैं और उनके श्राद्ध और तर्पण से परिवार को आशीर्वाद देते हैं। इसी कड़ी में आज रविवार से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है। मध्यप्रदेश के सागर ज़िले के खुरई में सुबह से ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और लोगों ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया। खुरई के बड़े तालाब स्थित मंदिर घाट पर सुबह-सुबह ही श्रद्धालु पहुंचने लगे। पंडितों के सानिध्य में विधि-विधान से तर्पण कराया गया। कुश, अक्षत, जौ और काला तिल का उपयोग कर पितरों को अर्पण दिया गया। पंडितों ने बताया कि तर्पण करने के बाद पूर्वजों से क्षमा याचना और आशीर्वाद की प्रार्थना करनी चाहिए।
खुरई के अलावा बीना नदी और नरेन नदी के घाटों पर भी श्रद्धालुओं ने तर्पण किया। परंपरा के अनुसार, अगर किसी परिजन की मृत्यु की सही तिथि याद न हो तो अश्विन अमावस्या के दिन श्राद्ध किया जा सकता है। पिता की मृत्यु होने पर अष्टमी तिथि और माता की मृत्यु पर नवमी तिथि पर श्राद्ध करने की परंपरा है। वहीं, अगर किसी की मृत्यु दुर्घटना में हुई हो तो उसका श्राद्ध चतुर्दशी को किया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान घरों में श्राद्ध करने के साथ-साथ लोग तीर्थ स्थलों पर जाकर भी पिंडदान और पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि श्राद्ध और तर्पण से पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार पर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद बना रहता है।