Sagar- राहतगढ़ में पितृपक्ष तर्पण, श्रद्धाभाव से पुरखों को किया अर्पण
सागर जिले के राहतगढ़ में पितृपक्ष के अवसर पर लोगों में जबरदस्त आस्था का माहौल देखने को मिला। बीना नदी के बनेनी घाट पर सुबह से ही लोग बड़ी संख्या में अपने पुरखों का तर्पण करने पहुँचे और श्रद्धाभाव से परंपरा निभाई।
पितृपक्ष के अवसर पर राहतगढ़ का बनेनी घाट आस्था का केंद्र बन गया। नगर और आसपास के गाँवों से सुबह से ही लोग अपने पितरों का तर्पण करने घाट पहुँचे। महिलाओं और पुरुषों ने स्नान कर, विधि-विधान से जल अर्पित किया और अपने दिवंगत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। घाट पर तर्पण कराने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी।
तर्पण का कार्यक्रम स्थानीय पंडित रूप किशोर त्रिवेदी के निर्देशन में विधिवत मंत्रोच्चार और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ सम्पन्न हुआ। उन्होंने बताया कि यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है और यह पितरों की आत्मा की शांति और उनके उद्धार के लिए की जाती है। उन्होंने कहा कि “अपने बुजुर्गों की आत्मा के उद्धार के लिए स्वयं भगवान श्रीराम ने भी तर्पण किया था। इसलिए यह परंपरा अनादि काल तक चलती रहेगी।
पितृपक्ष में तर्पण का धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि जो परिजन अपने पितरों को श्रद्धा से जल अर्पित करते हैं, उनके जीवन में सुख-समृद्धि और संतोष बना रहता है। वहीं जिनके परिवार में दिवंगत आत्माएँ होती हैं, उनके उद्धार और मोक्ष के लिए यह तर्पण किया जाता है।
पंडित रूप किशोर त्रिवेदी ने बताया कि पितृपक्ष में तर्पण करना हमारे संस्कार और परंपरा का हिस्सा है। यह केवल कर्मकांड नहीं, बल्कि अपने पुरखों के प्रति आभार और सम्मान का प्रतीक है। राहतगढ़ का बनेनी घाट आज श्रद्धा और आस्था से सराबोर दिखा। जहां सैकड़ों लोगों ने एक साथ अपने पुरखों को याद करते हुए तर्पण किया। पितृपक्ष का यह पर्व हमारी परंपरा और संस्कृति को जीवंत रखने का सबसे बड़ा माध्यम है।