सागर में जनकनंदिनी सीता पुस्तक का अनु शैलेंद्र जैन ने किया विमोचन,
सागर से एक साहित्यिक आयोजन की बड़ी खबर शहर में देर शाम संस्कृति एग्ज़ीबिशन के मंच से लेखिका प्रीति कठल की नई पुस्तक जनकनंदिनी सीता का भव्य विमोचन किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि अनु शैलेंद्र जैन मौजूद रहे। खास बात यह रही कि कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएँ शामिल हुईं और उन्होंने इस नई कृति के विमोचन को उत्साहपूर्वक देखा।
पुस्तक विमोचन के अवसर पर लेखिका प्रीति कठल ने कहा कि यह किताब खास तौर पर आज की युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर लिखी गई है। उन्होंने बताया कि आधुनिक दौर में जहां युवा पीढ़ी तेजी से बदलती जीवनशैली के साथ आगे बढ़ रही है, वहीं उसे भारतीय संस्कृति और आदर्शों से भी जुड़ा रहना चाहिए। ‘जनकनंदिनी सीता’ में माता सीता के त्याग, समर्पण और सहनशीलता की गाथा को समेटा गया है। लेखिका का कहना है कि सीता के जीवन से हमें धैर्य और सहनशीलता की सीख मिलती है, जिसे आज की जनरेशन अपने जीवन में अपनाकर और भी सशक्त बन सकती है।
इस अवसर पर मौजूद महिलाओं ने भी प्रीति कठल की इस पहल की सराहना की। उनका कहना था कि इस तरह की किताबें समाज में नई सोच पैदा करती हैं और विशेष रूप से महिलाओं को अपने जीवन में प्रेरणा लेने का अवसर देती हैं। मुख्य अतिथि अनु शैलेंद्र जैन ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है और इस तरह की रचनाएँ युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का बेहतरीन माध्यम हैं। उन्होंने लेखिका को बधाई दी और कहा कि ऐसी किताबें आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होंगी। सागर में हुए इस विमोचन ने एक बार फिर साबित किया कि साहित्य और संस्कृति का रिश्ता अटूट है। प्रीति कठल की ‘जनकनंदिनी सीता’ न सिर्फ एक पुस्तक है बल्कि एक ऐसी प्रेरणादायी गाथा है, जो हर पीढ़ी को आदर्शों से जोड़े रखने का काम करेगी।