Sagar - पितृमोक्ष अमावस्या पर तर्पण कर पितरों को दी अंतिम विदाई
सागर जिले के खुरई बड़े तालाब के मंदिर घाट पर सैकड़ो लोगों ने विधि विधान के साथ सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर अपने पूर्वजों का पितृ तर्पण किया।
सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या को उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनके निधन की तिथि ज्ञात नहीं है या जो भूले-बिसरे हैं। अगर कोई श्राद्ध तिथि में किसी कारण से श्राद्ध न कर पाया हो या श्राद्ध की तिथि मालूम न हो तो सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है। धर्माचार्यो के अनुसार इस दिन सभी पितर आपके द्वार पर उपस्थित होते हैं। सर्व पितृ अमावस्या पर पंचबलि कर्म के साथ ही पीपल की सेवा से भी पितर प्रसन्न होते हैं।
इस दिन स्टील के लोटे में दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करने को कहा गया है। तर्पण के माध्यम से पितरों को सुख शांति मिलती है। पितृ तर्पण के बाद पूर्वज एवं पितृ पारिवारिक क्लेश एवं बाधाओं को दूर करते हैं। शास्त्रों के मुताबिक श्राद्ध पक्ष में पितृ चंद्रलोक में पहुंच जाते हैं। चंद्रलोक में आने के बाद जो भी तर्पण करता है,उसको सुख शांति प्राप्त होती है। शहर के बड़े तालाब के मंदिर घाट, बीना नदी व नरेन नदी पर सैकड़ो लोगों ने स्नान कर पंडितों द्धारा विधि-विधान पूर्वक तर्पण कराया गया। इस योग में श्राद्ध कर्म और पितृ पूजा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है और घर में सुख, शान्ति एवं समृद्धि बनी रहती है। पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्ध करने से वंश वृद्धि, धन सम्पत्ति और पितरों से आशीर्वाद मिलता है।