MP| कफ सिरप से फिर दो मासूमों की मौत, अब तक 19 बच्चों ने तोड़ा दम, मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की जान जाने का सिलसिला थम नहीं रहा। मंगलवार को दो और मासूमों 3 साल के वेदांत काकुड़िया और 2 साल की जायुषा यदुवंशी की जान चली गई। दोनों बच्चों का इलाज नागपुर में चल रहा था, लेकिन ज़हर जैसे सिरप ने उनकी भी जान ले ली।
इसके साथ ही जान जानें का आंकड़ा अब 19 तक पहुंच गया है। इस मामले ने अब देश की सर्वोच्च अदालत तक दस्तक दे दी है। सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर मांग की गई है कि इस पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय न्यायिक आयोग या सीबीआई की विशेषज्ञ कमेटी से कराई जाए। याचिका में केंद्र सरकार से ड्रग रिकॉल पॉलिसी और टॉक्सिकोलॉजिकल सेफ्टी प्रोटोकॉल बनाने की भी मांग की गई है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य को हटा दिया है, जबकि तीन ड्रग इंस्पेक्टरों को सस्पेंड कर दिया गया है। सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम SIT गठित की है, जिसमें जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट और मंडला जिलों के अधिकारी शामिल हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन NHM की बैठक में यह सामने आया कि सभी बच्चों की किडनी फेल होने की वजह केमिकल टॉक्सिसिटी है।
यानी कफ सिरप में मिला जहरीला तत्व जान जाने का कारण बना। वहीं, जांच में अब दो और कफ सिरप री लाइफ और रेस्पिफ्रेस टीआर में भी खतरनाक डायएथिलीन ग्लाइकॉल DEG की अधिक मात्रा पाई गई है। ये दोनों सिरप गुजरात की फार्मा कंपनियों में बने थे और अब इन पर भी रोक लगा दी गई है। सरकार ने डॉक्टरों को चेतावनी दी है कि बच्चों को सिरप लिखने में विशेष सावधानी बरतें और बिना लाइसेंस फार्मेसी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।