Sagar- इंद्रेश उपाध्याय की भागवत कथा का तीसरा दिवस, बोले कथा व्यास, पाप देख मौन रहना महापाप
सागर के धर्मश्री अंबेडकर वार्ड स्थित श्री सिद्ध क्षेत्र बालाजी मंदिर प्रांगण में चल रही अंतरराष्ट्रीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिवस कथा व्यास परम पूज्य इंद्रेश उपाध्याय जी ने धर्म, अधर्म और जीवन के सत्य पर गहन उपदेश दिए। पंडाल में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी और भक्ति रस में हर क्षण डूबती रही। कथा व्यास इंद्रेश उपाध्याय जी ने कहा कि स्वप्न हमारे चित्त का दर्पण होते हैं। उन्होंने भक्त शिरोमणि मीराबाई के जीवन प्रसंग सुनाते हुए बताया कि विवाह के बाद भी मीरा ने ठाकुरजी को अपना सर्वस्व माना।
गोबिंद मेरो है, गोपाल मेरो है…भजन की प्रस्तुति पर पंडाल भक्तिमय हो उठा। महाभारत प्रसंग का उल्लेख करते हुए कथा व्यास जी ने कहा कि युधिष्ठिर के शासनकाल में द्रौपदी अपमान के दौरान सभा में मौन रहने वाले सभी लोग अधर्म के भागीदार बने। उन्होंने श्रीकृष्ण के संवाद का उल्लेख करते हुए स्पष्ट कहा— पाप करने वाला पापी और पाप देखकर भी मौन रहने वाला महापापी होता है।
इंद्रेश उपाध्याय जी ने कर्ण, कुंती और अर्जुन को भगवान के प्रिय पात्र बताते हुए कहा कि धार्मिक बनना पर्याप्त नहीं, बल्कि अपने भीतर अधर्म रूपी भावों को जन्म न लेने देना ही सच्चा धर्म है। उन्होंने कठपुतली उदाहरण देते हुए कहा— हम सभी कठपुतली हैं, संचालक भगवान हैं और हमारे बीच माया का पर्दा है। कथा में द्रौपदी द्वारा बताई गई पाँच गुणों— निष्कपटता, समता, धैर्य, परोपकार और संयम— को भी विस्तार से समझाया गया। अश्वत्थामा द्वारा उत्तरा के गर्भ पर अस्त्र चलाए जाने तथा परीक्षित जन्म के प्रसंग पर भक्तों ने गहरी आस्था के साथ कथा का आनंद लिया।
मुख्य अजमान अनुश्री शैलेंद्र कुमार जैन ने बताया कि चतुर्थ दिवस शनिवार दोपहर 2 बजे भव्य श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन होगा। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से शामिल होने का आग्रह किया। मीडिया प्रमुख श्रीकांत जैन ने बताया कि संध्या आरती में गुरु सिंह सभा के सदस्यों ने कथा व्यास जी को तलवार भेंट की। कार्यक्रम में पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह, वरिष्ठ विधायक रामेश्वर शर्मा, भाजपा नेता विनोद गोटिया सहित कई जनप्रतिनिधि व भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।