प्याज का दर्द, भाव न मिलने पर किसान ने 2 बीघा प्याज मवेशियों को खिलाई !
प्याज किसानों की हालत किसी से छुपी नहीं है। इस बार गिरते दामों ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि किसान अपनी ही उपज को नष्ट करने पर मजबूर हैं। एमपी के नीमच जिले के रावत खेड़ा गांव से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया है। रावत खेड़ा के किसान विशाल सिंह ने अपनी दो बीघा प्याज की पूरी फसल को मंडी ले जाने के बजाय सीधे मवेशियों को खिलाने का फैसला किया। वजह—प्याज के इतने कम दाम, कि कटाई और मजदूरी तक का पैसा नहीं निकल पा रहा था।
मंडी में प्याज 200 रुपए क्विंटल, यानी 2 रुपए किलो बिक रही है। किसान विशाल सिंह ने बताया कि फसल तो बंपर हुई थी, लेकिन दामों ने उनकी सारी उम्मीदें तोड़ दीं। उन्होंने कहा—200 रुपए क्विंटल भाव सुनकर मेरा माथा घूम गया। मेहनत, खाद, बीज—all घाटे में। ऐसे में प्याज मवेशियों को खिलाना ही ठीक लगा। किसानों के अनुसार एक बीघा प्याज उगाने में 25 से 30 हजार रुपए का खर्च आता है। लेकिन जब मंडी में दाम सिर्फ 200–400 रुपए क्विंटल मिलें, तब— कटाई-छंटाई, मंडी ले जाने, मजदूरी, का खर्च भी नहीं निकलता। विशाल सिंह की दो बीघा की कटाई में ही 10 हजार रुपए से ज्यादा मजदूरी लगनी थी। ऐसे में फसल बेचना घाटे का सौदा बन गया।
गांव के किसान बताते हैं कि भाव इतने कम मिल रहे हैं कि कर्ज चुकाना तो दूर, लागत वसूलना भी मुश्किल हो गया है। इसी लाचारी और हताशा के चलते किसान अब प्याज को सड़क पर फेंकने या मवेशियों को खिलाने पर मजबूर हो रहे हैं। प्याज किसानों की यही मांग है कि सरकार जल्द से जल्द प्याज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित करे या भावांतर योजना के तहत अंतर की राशि दे। किसानों का कहना है—“अगर हालात ऐसे ही रहे, तो आने वाले दिनों में और भी किसान फसल बर्बाद करने को मजबूर हो जाएंगे। प्याज किसानों की यह तस्वीर एक चेतावनी है कि यदि दामों की समस्या पर तुरंत कदम नहीं उठाए गए, तो किसान और गहरे संकट में पहुंच सकते हैं।