सागर- श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन भक्ति और प्रेम का अनुपम संगम, इंद्रेश उपाध्याय जी के दिव्य प्रवचन पर झूम उठा सम्पूर्ण पंडाल
सागर- श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन भक्ति और प्रेम का अनुपम संगम, इंद्रेश उपाध्याय जी के दिव्य प्रवचन पर झूम उठा सम्पूर्ण पंडाल
सागर। धर्म श्री अंबेडकर वार्ड स्थित श्री सिद्ध क्षेत्र बालाजी मंदिर प्रांगण में मुख्य यजमान श्रीमती अनुश्री शैलेन्द्र कुमार जैन (विधायक, सागर) द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन आस्था, भक्ति और प्रेम का अद्भुत वातावरण देखने को मिला। अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास परम पूज्य इंद्रेश उपाध्याय जी महाराज के भजनों—“ठाकुर जी और राधा रानी”—पर पूरा पंडाल भक्तिमय हो उठा और हजारों श्रद्धालु भाव-विभोर होकर झूमने लगे।
“प्रेम में समय निकाला जाता है”—महाराज जी
प्रवचन के दौरान महाराज जी ने कहा कि “प्रेम का घाव वही होता है जो भरने न पाए—यही प्रेम की पहचान है।” उन्होंने सागर के लोगों की प्रशंसा करते हुए कहा कि सागर के भक्त बड़े प्रेमी हैं, जिनके प्रेम की गहराई मापी नहीं जा सकती।
गिरिराज प्रसंग: सरलता ही श्रेष्ठता
गिरिराज धारण कथा का वर्णन करते हुए महाराज जी ने बताया कि ठाकुर भक्ति में ज्ञान, योग और वैराग्य के साथ सरलता और सहजता सबसे महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा— “आज मनुष्य दिखावे में उलझ गया है, इसलिए पहले स्वयं को योग्य बनाना और सुधारना जरूरी है।”
महाराज जी ने यह भी कहा कि “दूसरों की निंदा न करें, सभी का वंदन करें। सरलता अपनाने वाले की रक्षा स्वयं ठाकुर जी करते हैं।”
उन्होंने बताया कि 7 वर्ष के बालक कृष्ण ने 21 किमी लंबे पर्वत को उंगली पर उठा लिया, पर ब्रजवासियों ने उन्हें भगवान नहीं माना, बल्कि अपना लाला माना—जहां प्रेम होता है, वहां पद और शक्ति का अभिमान नहीं रहता।
राधा स्वरूप और आध्यात्मिक संदेश
राधा रानी के स्वरूप का वर्णन करते हुए महाराज जी ने कहा— “ठाकुर जी आनंद हैं और वही आनंद किशोरी जी के रूप में प्रकट होता है… दोनों दो देह, पर एक प्राण हैं।”
उन्होंने जीवनशैली संबंधित महत्वपूर्ण बातें भी बताईं—
संध्या समय सोना, पढ़ना, भोजन, सहवास और नई क्रिया नहीं करनी चाहिए।
एकादशी के दिन अन्न सेवन से पूर्व पाप जागृत हो जाते हैं, इसलिए उस दिन अन्न वर्जित है।
‘रस’ से ‘रास’ तक: सागर की दूसरी कथा का महत्व
महाराज जी ने कहा— “सागर की पहली कथा ‘रस’ थी, जिसमें भक्त भगवान को खोजता है; यह दूसरी कथा ‘रास’ है, जिसमें भगवान भक्त के पास आते हैं।”
दुर्योधन-कौरव-पांडव और महाराष्ट्र की भक्त जनाबाई के प्रसंग सुनाकर उन्होंने सरलता और धर्म के मार्ग का गहन संदेश दिया।
जब “रास रचो है” भजन गूंजा तो मंत्रीगण, विधायक दंपत्ति, सांसद और सभी श्रद्धालु उत्साह से भरकर नृत्य और भजन में लीन हो गए।
आज की कथा
समय : प्रातः 10 बजे से 12 बजे तक
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे
प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, राज्य मंत्री धर्मेंद्र लोधी, सांसद डॉ. श्रीमती लता वानखेड़े, फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा, वरिष्ठ विधायक भूपेंद्र सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष श्याम तिवारी, नगर निगम अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार, श्रीमती पारुल साहू, संजीव अग्रवाल, सुधीर शर्मा, डॉ. अनिल तिवारी, जाहर सिंह, हरिराम सिंह, यश अग्रवाल, अर्पित पांडे, निकेश गुप्ता, जवाहर लाल जैन, अरविंद तिवारी, गोल्डी केसरवानी, धर्मवीर साहू, पंडित श्रीराम दुबे, पंडित शिव प्रसाद तिवारी, भरत तिवारी, डॉ. पी.एस. ठाकुर, विक्रम सोनी, कैलाश चौरसिया, सविता साहू, याकृति जड़िया, सुरेंद्र सुहाने, डॉ. ओ.पी. शिल्पी, मनोज जैन, अविनाश जैन सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।