1857 में जब एक अंग्रेज अधिकारी ने बताया था #सागर का महत्व || STVN INDIA || SAGAR TV NEWS ||

 

 सागर एक गौरवशाली इतिहास को अपने भीतर समाहित करे है लेकिन इससे जानने और समझने आज हमारे पास ही वक़्त नहीं है। सागर जब से बसा है तब से इसका एक अलग महत्व है लेकिन शायद हम न तब इसे समझे थे और ना आज इसे समझे है। नमस्कार मैं हूँ शिवा पुरोहित और आप है सागर टी व्ही न्यूज़ के साथ

भारत के इतिहास में भले हम सागर के महत्व को न समझ पाए हो लेकिन ये शहर हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। इतिहास के पन्नो में दर्ज आज ऐसे ही एक बात का जिक्र यहाँ करना चाहूंगा जिसमे 1857 की क्रांति का दमन करने एक अग्रेज अफसर जब सागर आया तो उसने इसके महत्व पर रौशनी डाली ये बात मुझे बताई थी सागर के डॉ हरिसिंह गौर वि वि के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ बी के श्रीवास्तव -

उन्होंने बताया था की सागर में 1857 की क्रांति को कुचलने के लिए एक अंग्रेज अफसर - ब्रिगेडियर जनरल हूज रोज़ सागर आया था उन्होंने सागर में साल 1958 में राहतगढ़,बरोदा बानपुर,गढ़ाकोटा और सागर में अग्रेजो के खिलाफ उठे विद्रोह का दमन किया था। उस वक़्त इस अग्रेज अधिकारी ने कहा था की सागर का जबलपुर से अधिक महत्व है। इसकी स्तिथि ऐसी है की ये मध्यभारत में है यहाँ से भारत से भारत चारो तरफ जाने के लिए रास्ते है. इसी लिए यहाँ पर आयोग शाला स्थापित है।  पुरे भारत में शास्त्र हथियार यहाँ से ही जाते है।

 दोस्तों उम्मीद है आपको ये जानकारी सुनकर अच्छा लगा होगा। सागर का भौगोलिक महत्व आज से ही नहीं बल्कि हमेशा से रहा है लेकिन यही वो अग्रेज थे जिन्होंने सागर का दमन किया और दमन भी ऐसा किया की चाह कर भी ये शहर वो हासिल नहीं कर पाया जिसका वो हक़दार था।  ऐसी ही छोटी छोटी रोचक जानकारिया लेकर आपके बीच फिर आऊंगा नमस्कार 

 

 


By - Shiva Purohit (Sagar,MP)
27-Jan-2021

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