नन्हे बच्चो पर ट्यूशन का दवाब पहुंचाता है बहुत नुकसान || STVN INDIA ||

 

 

बदलते समय के साथ बच्चों में और उनके पढ़ाई करने के तरीकों में भी काफी बदलाव आया है। इसी का एक पार्ट है ट्यूशन। ट्यूशन से न सिर्फ पढ़ाई में मदद मिलती है, बल्कि यह एक ट्रेंड-सा बन गया है। 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्यार्थी शुरू से ही ट्यूशन पर निर्भर हो रहे हैं। हद तो यह है कि आजकल अभिभावक नर्सरी से पांचवीं तक के बच्चों को भी ट्यूशन भेज देते हैं। कभी उस बाल मन पर पढ़ते मानसिक दबाव का अंदाजा नहीं होता।
छोटी उम्र से ही बच्चों को ट्यूशन भेज देना क हीं न कहीं बच्चों पर मानसिक दबाव डालता है। अभिभावक बच्चों पर खुद ध्यान देने की जगह उन्हें किसी के पास पढ़ने के लिए भेज देते हैं, ताकि वह खुद प्री हो सकें। कुछ अभिभावकों को यह भी पता नहीं रहता कि उनके बच्चे किस तरह पढ़ रहे हैं। उन्हें बस यही पता रहता है कि बच्चा स्कूल से घर आया और उसे ट्यूशन भेजना है।कई बच्चों को दो-दो जगह ट्यूशन पढ़ने भेजा जाता है। इससे बच्चे इतने थक चुके होते हैं कि उन्हें या तो खेलने का वक्त नहीं मिलता है, या उनमें खेलने की ऊर्जा नहीं बचती है। ऐसी स्थिति पर मनो चिकित्सक और मनोविज्ञानी भी चिंता जताते हैं।


By - Sagar Tv News
15-Feb-2021

YOU MAY ALSO LIKE

Sagartvnews subscribe on youtube



NEWSLETTER

सागर टीवी न्यूज़ से सबसे पहले न्यूज़ लेने के लिए अभी अपना ईमेल डालें और सब्सक्राइब करें
Sagar TV News.