भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल के ब्रिटिश गवर्नर जॉन हरबर्ट को खत लिखकर भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने के लिए कहा था । खत में उन्होंने लिखा , वह अंग्रेजी हुकूमत साथ हैं। यह वह समय था जब गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस अंग्रेजी हुकूमत को भगाने के लिए आंदोलन चला रही थी। इसको लेकर जनसत्ता ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी, फ्रॉम ए डायरी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, एजी नूरानी, प्रो सुमित गुहा, मशहूर इतिहासकार आरसी मजुमदार ने इस खत और किताबो के हबाले से जो लिखा है उसको लकेर एक रिपोर्ट तैयार की है जिसके अनुसार
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी उस समय वह मुस्लिम लीग - हिंदू महासभा की उस साझा सरकार के वित्त मंत्री थे , जिसके नेता लीग के एके फजलुल हक थे । हक ने ही भारत के दो टुकड़े कर अलग पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव मुस्लिम लीग की बैठक में पेश किया था । मुखर्जी 1941 में मुस्लिम लीग की अगुआई में बनी संयुक्त सरकार में शामिल हुए ।
मुखर्जी ने अपने खत में अंग्रेजों से कहा कि कांग्रेस की अगुवाई में चलने वाले इस आंदोलन को सख्ती से कुचला जाना चाहिए । मुखर्जी ने 26 जुलाई , 1942 को बंगाल के गवर्नर सर जॉन आर्थर हरबर्ट से कहा , कांग्रेस द्वारा बड़े पैमाने पर छेड़े गए आंदोलन के कारण सूबे में जो स्थिति उत्पन्न हो रही है , उसकी ओर वह ध्यान दिलाना चाहते हैं । उन्होंने लिखा , किसी भी सरकार को ऐसे लोगों को कुचला जाना चाहिए जो युद्ध के समय लोगों की भावनाओं को भड़काने का काम करते हों , जिससे गड़बड़ी या आंतरिक असुरक्षा की स्थिति पैदा होती है ।
उन्होंने लिखा , सवाल यह है कि बंगाल में भारत छोड़ो आंदोलन को कैसे रोका जाए । प्रशासन को इस तरह काम करना चाहिए कि कांग्रेस की तमाम कोशिशों के बावजूद यह आंदोलन प्रांत में अपनी जड़ें न जमा सके । सभी मंत्री लोगों से यह कहें कि कांग्रेस ने जिस आजादी के लिए आंदोलन शुरू किया है , वह लोगों को पहले से ही हासिल है । मुखर्जी ने बंगाल के विभाजन की मांग की थी । बंगाल का पहली बार विभाजन 1905 में हुआ । आंदोलन के बाद उसे 1911 में रद्द कर दिया गया । 1946-47 में श्यामा प्रसाद ने एक बार फिर इसके विभाजन की मांग की ।
डॉ . श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को हुआ । उनके पिता आशुतोष मुखर्जी कोलकाता हाईकोर्ट के जज थे । वह स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग व सप्लाई मंत्री रहे । उन्होंने महज 33 साल की उम्र में कोलकाता यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बनने का भी गौरव हासिल किया । उनके कार्यकाल के दौरान रबिंदरनाथ टैगोर ने बंगाली में विवि के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया । 1977-79 के दौरान जनसंघ की स्थापना की । आगे चलकर यही जनसंघ भारतीय जनता पार्टी में तब्दील हो गया था
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