इस भूत बंगले के दीवाने थे दो सुपरस्टार्स अंदर से आती थीं अजीब आवाजें
सिनेमा की दुनिया में ऐसे कई किस्से हैं, जो अंधविश्वास की कसौटी पर टिके हुए हैं। ऐसे कई सिलेब्रिटीज हैं, जो अंधविश्वास को मानते हैं और इससे जुड़कर ही अपना सारा काम करते हैं। फिर चाहे अंगूठियां पहनने की बात हो या नाम के अक्षर बदलने की। सिलेब्रिटीज की जिंदगी से जुड़ा एक ऐसा ही किस्सा है एक भुतहा बंगले का। मुंबई के कार्टर रोड स्थित वो बंगला, जिस पर दो सुपरस्टार्स जान छिड़कते थे। यही नहीं, दोनों का यही मानना है इस भुतहा बंगले ने उनकी किस्मत चमका दी। ये दो सुपरस्टार्स थे राजेंद्र कुमार और राजेश खन्ना,
बात उन दिनों की है कि जब फिल्म इंडस्ट्री में 60 और 70 के दशक में राजेंद्र कुमार की तूती बोलती थी। 1949 में बॉलिवुड डेब्यू करने वाले राजेंद्र कुमार ने 1955 में पहली बार लीड रोल किया। मदर इंडिया, घर संसार, कानून, धर्मपुत्र जैसी फिल्मों ने उन्हें स्टार बना दिया था। लेकिन अब भी राजेंद्र कुमार सुपरस्टार बनने के लिए स्ट्रगल कर रहे थे। दूसरी ओर, परिवार के लिए उन्हें एक बड़े घर की तलाश थी। इसी तलाश ने उन्हें कार्टर रोड पहुंचाया। वहां एक बंगले ने राजेंद्र कुमार का मन मोह लिया। लेकिन बंगला काफी महंगा था। साथ ही कई लोगों ने यह भी कहा कि यह बंगला भुतहा है। इसमें से अजीब-अजीब आवाजें आती हैं।
राजेंद्र कुमार के पास उस बंगले को खरीदने लायक पैसे भी नहीं थे। लेकिन समंदर किनारे बंगला देखने के बाद उन्होंने किसी की नहीं सुनी और जैसे-तैसे वह बंगला खरीद लिया। अपनी बेटी के नाम पर बंगले का नाम रखा डिम्पल। यह बंगला राजेंद्र कुमार के लिए गुडलक साबित हुआ। उनके करियर में करिश्माई उछाल आया। एक के बाद एक हिट फिल्में देते गए। वह राजेंद्र कुमार से जुबली कुमार बन गए।
राजेंद्र कुमार को राजेश खन्ना ने कड़ी टक्कर दी। राजेंद्र कुमार की फिल्में फ्लॉप होने लगीं। धीरे-धीरे हालात ऐसे बने कि राजेंद्र कुमार को अपना बंगला डिम्पल बेचना पड़ा। यहीं पर एंट्री हुई राजेश खन्ना की। राजेंद्र कुमार के इस बंगले के बारे में इंडस्ट्री में खूब चर्चा थी। लोग कहते थे कि उस भुतहा बंगले ने ही राजेंद्र कुमार की किस्मत चमका दी। राजेश खन्ना चाहते थे कि वह बंगला खरीद लें। इसके पीछे बंगले की खूबसूरती तो थी ही, एक अंधविश्वास भी था कि बंगला आ गया तो स्टारडम भी आ जाएगा।
ऐसा हुआ भी। सीमा सोनिक अलिमचंद की किताब जुबली कुमार: द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ ए सुपरस्टार में इसका जिक्र है। 1969 में राजेश खन्ना ने राजेंद्र कुमार का बंगला खरीद लिया। राजेंद्र कुमार ने शर्त रखी कि राजेश खन्ना को बंगले का नाम बदलना होगा। राजेश खन्ना ने इस बंगले का नाम आशीर्वाद रखा।
कहते हैं कि यह बंगला राजेश खन्ना के लिए भी भाग्यशाली साबित हुआ। बंगले में शिफ्ट करने के बाद राजेश खन्ना की किस्मत चमक गई। वह सुपरस्टार बन गए। अराधना, इत्तेफाक और दो रास्ते जैसी फिल्मों ने राजेश खन्ना को वह पॉप्युलैरिटी दी, जिसके लिए वह तरस रहे थे।
दूसरी ओर, राजेश खन्ना ने अपनी जिंदगी के सबसे सुनहरे दिन इसी बंगले में बिताए। यह बंगला उन्होंने तब 3.5 लाख रुपये में खरीदा था। पैसे कम थे, इसलिए राजेश खन्ना ने इसके लिए ईएमआई पर पैसे चुकाए थे। राजेश खन्ना ने हाथी मेरे साथी फिल्म सिर्फ इसलिए साइन की थी कि वह यह बंगला खरीद सके।
बहरहाल, साल 2012 में राजेश खन्ना की मौत के बाद उनके परिवार ने यह बंगला कथित तौर पर 90 करोड़ रुपये में शशि किरण शेट्टी को बेच दिया, जो ऑल कार्गो लॉजिस्टिक्स के चेयरमैन हैं। शेट्टी ने 2016 में आशीर्वाद बंगले को तोड़कर वहां नया चार मंजिला घर बनाया है।